राघोपुर विधानसभा सीट और जीत की अहमियत
- राघोपुर सीट राजद के लिए परंपरागत रूप से मजबूत गढ़ रही है।
- इससे पहले, तेजस्वी के पिता लालू प्रसाद यादव और उनकी माँ राबड़ी देवी भी इसी सीट से विधायक रह चुके थे।
- 2010 में इस सीट पर जेडीयू के सतीश कुमार ने जीत दर्ज की थी, लेकिन 2015 में तेजस्वी यादव ने लगभग 22,733 वोटों के अंतर से जीत हासिल कर यह सीट फिर से राजद के खाते में डाल दी।
उपमुख्यमंत्री बनने का सफर
- 2015 में महागठबंधन (राजद, जदयू, कांग्रेस) की सरकार बनने के बाद, तेजस्वी यादव को बिहार का उपमुख्यमंत्री बनाया गया।
- महज 26 साल की उम्र में, वे बिहार के सबसे युवा उपमुख्यमंत्री बने।
- उन्होंने सड़क निर्माण और आधारभूत संरचना सुधार जैसे कई विकास कार्यों की शुरुआत की।
2017 में सरकार गिरना और विपक्ष के नेता बनना
- 2017 में जेडीयू नेता नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया, जिससे महागठबंधन सरकार गिर गई और तेजस्वी को उपमुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा।
- इसके बाद, तेजस्वी बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता बने और भाजपा-जदयू सरकार के खिलाफ मजबूत विपक्षी भूमिका निभाने लगे।
तेजस्वी यादव ने 2015 के चुनाव में अपनी जीत से बिहार की राजनीति में एक मजबूत युवा नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई, और तब से वे लगातार राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
2017 में सरकार से बाहर होना
2015 में महागठबंधन (राजद, जदयू, कांग्रेस) की सरकार बनने के बाद, नीतीश कुमार मुख्यमंत्री और तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बने। लेकिन 2017 में राजनीतिक हालात बदल गए, जिससे तेजस्वी यादव को सरकार से बाहर होना पड़ा।
मुख्य कारण: भ्रष्टाचार के आरोप
- जुलाई 2017 में, सीबीआई (CBI) ने तेजस्वी यादव और उनके परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच शुरू की।
- उन पर रेलवे टेंडर घोटाले में शामिल होने का आरोप लगा, जो उनके पिता लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री (2004-2009) रहते हुए हुआ था।
- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जदयू (नीतीश कुमार) ने तेजस्वी से इस्तीफे की मांग की, लेकिन उन्होंने इसे राजनीति से प्रेरित बताकर इस्तीफा देने से इनकार कर दिया।
नीतीश कुमार का भाजपा के साथ जाना
- तेजस्वी यादव पर बढ़ते भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच, नीतीश कुमार ने राजद से नाता तोड़कर भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया।
- 26 जुलाई 2017 को, नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और कुछ ही घंटों में भाजपा के समर्थन से फिर से मुख्यमंत्री बन गए।
- इस घटनाक्रम के बाद, राजद और तेजस्वी यादव को सरकार से बाहर होना पड़ा और वे विपक्ष में आ गए।
विपक्ष में संघर्ष और तेजस्वी की भूमिका
- 2017 के बाद, तेजस्वी यादव ने विधानसभा में विपक्ष के नेता की भूमिका निभाई।
- उन्होंने नीतीश कुमार और भाजपा सरकार के खिलाफ कई आंदोलनों का नेतृत्व किया।
- उन्होंने बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और किसान मुद्दों को लेकर लगातार सरकार पर हमला किया और युवाओं के बीच अपनी मजबूत पकड़ बनाई।
2017 के बाद तेजस्वी का कद कैसे बढ़ा?
- 2017 के सत्ता परिवर्तन के बाद भी तेजस्वी यादव ने हार नहीं मानी और अपने नेतृत्व को और मजबूत किया।
- उन्होंने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का नेतृत्व किया, जहाँ राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।
- 2022 में, उन्होंने दोबारा उपमुख्यमंत्री पद संभाला, जब नीतीश कुमार ने फिर से भाजपा से नाता तोड़ लिया और महागठबंधन की सरकार बनी।
2020 बिहार विधानसभा चुनाव और तेजस्वी यादव की भूमिका
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव तेजस्वी यादव के राजनीतिक करियर के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहे। इस चुनाव में उन्होंने महागठबंधन (राजद, कांग्रेस और वामपंथी दलों) का नेतृत्व किया और खुद को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया।
चुनाव अभियान और रणनीति
बेरोजगारी को मुख्य मुद्दा बनाया
- तेजस्वी यादव ने बिहार के युवाओं और बेरोजगारी को अपना सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया।
- उन्होंने वादा किया कि अगर उनकी सरकार बनती है, तो पहली कैबिनेट बैठक में ही 10 लाख सरकारी नौकरियाँ दी जाएँगी।
- यह वादा बिहार के बेरोजगार युवाओं को आकर्षित करने में सफल रहा।
- नीतीश कुमार और भाजपा पर हमला
- तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को “थके हुए मुख्यमंत्री” कहकर संबोधित किया और कहा कि उनकी सरकार विकास करने में विफल रही है।
- उन्होंने बिहार में बदहाल शिक्षा, स्वास्थ्य व्यवस्था और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को उठाया।
- तेजस्वी की रैलियों में भारी भीड़
- पूरे चुनाव अभियान के दौरान तेजस्वी यादव की रैलियों में जबरदस्त भीड़ उमड़ी।
- खासकर युवा मतदाताओं और किसानों ने उन्हें बड़े पैमाने पर समर्थन दिया।
चुनाव परिणाम
- राजद (RJD) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और उसने 75 सीटें जीतीं।
- महागठबंधन को कुल 110 सीटें मिलीं, लेकिन सरकार बनाने के लिए जरूरी 122 सीटों का बहुमत नहीं मिला।
- भाजपा-जदयू गठबंधन ने 125 सीटें जीतकर सरकार बना ली, और नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बने।
तेजस्वी यादव की छवि और भविष्य की राजनीति
- इस चुनाव में तेजस्वी यादव ने खुद को एक परिपक्व और मजबूत विपक्षी नेता के रूप में साबित किया।
- उन्होंने नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ आक्रामक विपक्ष की भूमिका निभाई।
- 2022 में, जब नीतीश कुमार ने भाजपा से नाता तोड़कर महागठबंधन के साथ फिर से सरकार बनाई, तो तेजस्वी यादव दोबारा उपमुख्यमंत्री बने।
2020 का चुनाव भले ही तेजस्वी यादव की सरकार न बना सका, लेकिन इससे उन्होंने खुद को बिहार के सबसे बड़े युवा नेता के रूप में स्थापित कर लिया। 🚀
2022 में फिर से उपमुख्यमंत्री बनना
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भले ही तेजस्वी यादव सरकार नहीं बना पाए, लेकिन उन्होंने राजद को सबसे बड़ी पार्टी के रूप में स्थापित किया और मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाई। इसके बाद, 2022 में बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर हुआ, जिससे तेजस्वी यादव एक बार फिर उपमुख्यमंत्री बने।
कैसे बदला बिहार का राजनीतिक समीकरण?
- नीतीश कुमार और भाजपा में मतभेद
- 2020 में भाजपा-जदयू गठबंधन से बनी सरकार में नीतीश कुमार और भाजपा के बीच कई मुद्दों पर मतभेद उभरने लगे।
- अग्निपथ योजना और जातीय जनगणना जैसे मुद्दों पर दोनों दलों के बीच तनाव बढ़ गया।
- भाजपा ने नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को कमजोर करने की कोशिश की, जिससे नीतीश नाराज हो गए।
- नीतीश कुमार का भाजपा से नाता तोड़ना
- 9 अगस्त 2022 को, नीतीश कुमार ने भाजपा से गठबंधन तोड़ने और महागठबंधन के साथ आने का फैसला किया।
- उन्होंने राजद, कांग्रेस और वामदलों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया।
- तेजस्वी यादव दोबारा उपमुख्यमंत्री बने
- 10 अगस्त 2022 को, नीतीश कुमार ने आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और तेजस्वी यादव दूसरी बार बिहार के उपमुख्यमंत्री बने।
- तेजस्वी यादव को स्वास्थ्य, सड़क निर्माण, नगर विकास और श्रम संसाधन जैसे कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी दी गई।
- उनकी पार्टी राजद को सरकार में सबसे ज्यादा मंत्री पद मिले, जिससे उनकी पार्टी की ताकत और बढ़ गई।
तेजस्वी यादव की भूमिका और प्रभाव
- उपमुख्यमंत्री बनने के बाद, तेजस्वी यादव ने स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दों पर तेजी से काम करना शुरू किया।
- उन्होंने बिहार में नए अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों की स्थापना पर जोर दिया।
- उन्होंने राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ाने और नई नौकरियों की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया।
- सरकार बनने के बाद उन्होंने कहा, “हमने 10 लाख नौकरियों का जो वादा किया था, उसे जरूर पूरा करेंगे
वर्तमान स्थिति और भविष्य
वर्तमान स्थिति (2023-2024)
तेजस्वी यादव बिहार के उपमुख्यमंत्री के रूप में सक्रिय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख नेता हैं और राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखते हैं।
मुख्य पहल और कार्य
- स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे पर ध्यान –
- तेजस्वी यादव बिहार में मेडिकल सुविधाओं को सुधारने पर जोर दे रहे हैं।
- उन्होंने नए मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना पर फोकस किया है।
- रोजगार और नौकरियों पर फोकस –
- 2020 चुनाव में किए गए 10 लाख सरकारी नौकरियों के वादे को पूरा करने की कोशिश जारी है।
- बिहार सरकार नए रोजगार सृजन योजनाओं पर काम कर रही है।
- युवाओं के बीच बढ़ती लोकप्रियता –
- तेजस्वी यादव बिहार के युवाओं के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक बन चुके हैं।
- वे बेरोजगारी, शिक्षा और विकास से जुड़े मुद्दों पर सरकार से सवाल करते रहते हैं।
- राजनीतिक चुनौतियाँ –
- भाजपा के खिलाफ 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष को मजबूत करने की जिम्मेदारी भी तेजस्वी के कंधों पर है।
- बिहार में राजनीतिक अस्थिरता हमेशा बनी रहती है, और नीतीश कुमार के भविष्य के फैसले पर भी तेजस्वी की राजनीति निर्भर करती है।
भविष्य की राजनीति और संभावनाएँ
- बिहार के मुख्यमंत्री बनने की संभावना
- तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के बाद बिहार के अगले मुख्यमंत्री बनने के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं।
- अगर महागठबंधन सत्ता में बना रहता है, तो वे 2025 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री उम्मीदवार हो सकते हैं।
- राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका?
- 2024 के लोकसभा चुनाव में राजद का प्रदर्शन तेजस्वी यादव के भविष्य की राजनीति को तय करेगा।
- अगर वे बिहार में महागठबंधन को मजबूत कर पाते हैं, तो वे राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी गठबंधन में एक बड़ा चेहरा बन सकते हैं।
- युवा नेतृत्व और नई राजनीति
- तेजस्वी यादव नई पीढ़ी के नेताओं में गिने जाते हैं और युवाओं के समर्थन के चलते उनका राजनीतिक भविष्य उज्ज्वल दिखता है।
- जातिगत समीकरणों और सामाजिक न्याय की राजनीति के कारण वे बिहार में राजद के भविष्य के रूप में देखे जाते हैं।