पूरा नाम: शिवपाल सिंह यादव
जन्म: 6 अप्रैल 1955
जन्म स्थान: सैफई, इटावा, उत्तर प्रदेश
राजनीतिक दल: समाजवादी पार्टी (सपा), प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) (पूर्व)
पद: उत्तर प्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव
परिवार:
- पिता: सुघर सिंह यादव
- भाई: मुलायम सिंह यादव (पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश)
- भतीजा: अखिलेश यादव (पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश)
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
शिवपाल सिंह यादव का जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में 6 अप्रैल 1955 को हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल से पूरी की और आगे की पढ़ाई जैन इंटर कॉलेज, करहल, मैनपुरी से की। उन्होंने 1972 में हाईस्कूल और 1974 में इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण की।
राजनीतिक करियर
शिवपाल यादव का राजनीतिक जीवन 1980 के दशक में शुरू हुआ। वे समाजवादी विचारधारा से प्रभावित थे और अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव के साथ राजनीति में सक्रिय हुए।
प्रमुख राजनीतिक घटनाएं:
- 1996 में पहली बार विधायक चुने गए – वे इटावा जिले के जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और विधायक बने।
- मंत्री पद – उत्तर प्रदेश सरकार में वे लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग और सहकारिता विभाग जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों के मंत्री रहे।
- विपक्ष के नेता – जब उत्तर प्रदेश में मायावती की सरकार थी, तब वे विधानसभा में नेता विपक्ष के रूप में कार्यरत रहे।
- सपा से अलगाव और नई पार्टी का गठन – 2018 में, अखिलेश यादव से मतभेद होने के बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी छोड़कर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) की स्थापना की।
- सपा में वापसी – 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के बाद उन्होंने पुनः समाजवादी पार्टी में वापसी की और राष्ट्रीय महासचिव का पद संभाला।
व्यक्तिगत जीवन और विचारधारा
शिवपाल यादव हमेशा समाजवादी विचारधारा के समर्थक रहे हैं। वे ग्रामीण विकास, किसानों और गरीबों के हितों के लिए कार्य करते रहे हैं। उन्होंने हमेशा उत्तर प्रदेश के विकास और समाजवादी आंदोलन को आगे बढ़ाने में योगदान दिया है।
मंत्री पद
शिवपाल सिंह यादव उत्तर प्रदेश सरकार में कई महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे हैं।
- 2003-2007: जब मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे, तब वे लोक निर्माण विभाग (PWD), सिंचाई, और सहकारिता मंत्री रहे।
- 2012-2017: अखिलेश यादव की सरकार में वे लोक निर्माण, सिंचाई और जल संसाधन, सहकारिता, और राजस्व विभाग के मंत्री बने।
विपक्ष के नेता
- 2007-2012: जब उत्तर प्रदेश में मायावती के नेतृत्व में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सरकार थी, तब शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी की ओर से विधानसभा में नेता विपक्ष बने।
- इस दौरान उन्होंने बसपा सरकार की नीतियों का कड़ा विरोध किया और सपा की विचारधारा को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई।
सपा से अलगाव और नई पार्टी का गठन
- 2016-2017: अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच राजनीतिक मतभेद बढ़ने लगे। अखिलेश ने उन्हें मंत्री पद से हटा दिया और पार्टी संगठन में बदलाव किए।
- 2018: मतभेद के कारण शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) (PSPL) का गठन किया।
- 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के बाद, उन्होंने फिर से समाजवादी पार्टी में वापसी कर ली और वर्तमान में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में कार्यरत हैं।
2016-2017: शिवपाल यादव और समाजवादी पार्टी में मतभेद
शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच टकराव
2016-2017 के दौरान समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच गहरे मतभेद उभरकर सामने आए।
मुख्य घटनाएँ:
- 2016 में सपा प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने का विवाद
- सितंबर 2016 में मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को हटाकर शिवपाल यादव को समाजवादी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया।
- इसके जवाब में अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव को कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया।
- चुनाव चिन्ह और पार्टी पर नियंत्रण की लड़ाई
- 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले, अखिलेश यादव और शिवपाल यादव में सपा के चुनाव चिन्ह (साइकिल) पर अधिकार को लेकर विवाद हुआ।
- मामला चुनाव आयोग तक पहुंचा, और अंततः चुनाव चिन्ह अखिलेश यादव को सौंप दिया गया।
- शिवपाल यादव की नाराजगी और सपा से दूरी
- 2017 के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।
- इसके बाद, शिवपाल यादव पार्टी में हाशिए पर चले गए और 2018 में उन्होंने अलग होकर “प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया)” (PSPL) का गठन किया।
2016-2017 का यह दौर उत्तर प्रदेश की राजनीति और समाजवादी पार्टी के इतिहास में एक बड़ा मोड़ साबित हुआ, जिसने पार्टी की आंतरिक राजनीति को पूरी तरह बदल दिया।
चुनाव चिन्ह और पार्टी पर नियंत्रण की लड़ाई (2016-2017)
2016-2017 के दौरान समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच सत्ता संघर्ष तेज हो गया। यह विवाद पार्टी पर नियंत्रण और उसके चुनाव चिन्ह “साइकिल” को लेकर चुनाव आयोग तक पहुंच गया।
मुख्य घटनाएँ:
1. सपा अध्यक्ष पद को लेकर विवाद (2016)
- सितंबर 2016 में मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल यादव को समाजवादी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया, जिससे अखिलेश यादव नाराज हो गए।
- इसके जवाब में अखिलेश ने शिवपाल यादव को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया।
2. टिकट बंटवारे को लेकर टकराव (दिसंबर 2016)
- 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले टिकट बंटवारे को लेकर विवाद बढ़ गया।
- अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव की सूची को नकारते हुए अपनी अलग सूची जारी कर दी।
3. दो गुटों में बंट गई समाजवादी पार्टी (जनवरी 2017)
- पार्टी में दो गुट बन गए –
- अखिलेश गुट (अखिलेश यादव समर्थक)
- शिवपाल-मुलायम गुट (शिवपाल और मुलायम समर्थक)
- 1 जनवरी 2017 को अखिलेश यादव को राष्ट्रीय अधिवेशन में सपा का अध्यक्ष घोषित कर दिया गया, जिससे शिवपाल और मुलायम नाराज हो गए।
4. चुनाव चिन्ह “साइकिल” पर अधिकार की लड़ाई (जनवरी 2017)
- दोनों गुटों ने चुनाव आयोग में “साइकिल” चुनाव चिन्ह पर दावा किया।
- 16 जनवरी 2017: चुनाव आयोग ने अखिलेश यादव के पक्ष में फैसला सुनाया और “साइकिल” चिन्ह उन्हें दे दिया।
- इससे शिवपाल यादव और मुलायम सिंह कमजोर पड़ गए।
नतीजा
- 2017 के चुनाव में सपा को हार मिली, और अखिलेश यादव की अगुवाई में पार्टी को भारी नुकसान हुआ।
- 2018 में शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी से अलग होकर “प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया)” (PSPL) का गठन किया।