गाय के लिए सही चारा (संतुलित आहार):
- हरी घास (Green Fodder):
- नेपियर घास
- बरसीम
- ज्वार, मक्का (कटी हुई)
- लुसेर्न (Alfalfa) — प्रोटीन से भरपूर
- सूखा चारा (Dry Fodder):
- भूसा (गेहूं या धान का)
- सूखी घास
- दाना (Concentrate Feed):
- सरसों की खल, मूंगफली की खल
- मक्का, जौ, चोकर
- खनिज मिश्रण (Mineral Mixture)
- नमक (Salt) – थोड़ी मात्रा में
- खल-बिनौला (Oilcakes):
- कपास का बिनौला
- सरसों या तिल की खल
- पानी:
- गाय को दिन में कम से कम 4–5 बार साफ पानी देना चाहिए।
- खनिज लिक (Mineral lick blocks):
- मिनरल की पूर्ति के लिए यह जरूरी होता है।
कुछ अतिरिक्त सुझाव:
- दूध देने वाली गाय को अधिक प्रोटीन और ऊर्जा युक्त आहार दें।
- चारा ताज़ा और साफ़ हो, उसमें फफूंदी या सड़न नहीं होनी चाहिए।
- दिनचर्या नियमित रखें – एक समय पर चारा और पानी दें।
नेपियर घास की विशेषताएँ:
- तेज़ी से बढ़ती है – एक बार लगाने पर 3-4 साल तक बार-बार कटाई की जा सकती है।
- उत्पादन अधिक होता है – 1 हेक्टेयर में सालाना 300-400 क्विंटल हरा चारा मिल सकता है।
- प्रोटीन युक्त चारा – इसमें लगभग 8-12% प्रोटीन पाया जाता है।
- दूध उत्पादन में सहायक – नियमित रूप से खिलाने से गाय का दूध बढ़ता है।
🌱 नेपियर घास कैसे उगाएँ:
- उपयुक्त मौसम – मार्च से जुलाई तक बोवाई करें।
- बीज नहीं, तनों से होती है खेती – इसकी खेती मुख्यतः तने के टुकड़ों (2-3 गांठ वाले) से होती है।
- जमीन की तैयारी – खेत को अच्छी तरह जोत कर समतल करें और गोबर की खाद डालें।
- रोपण दूरी – पंक्ति से पंक्ति की दूरी 2-3 फीट रखें, और पौधे से पौधे की दूरी 1-1.5 फीट।
- सिंचाई – गर्मियों में हर 7-10 दिन में सिंचाई करें।
🐄 गाय को खिलाने का तरीका:
- एक गाय को प्रतिदिन 25–30 किलो तक नेपियर घास खिलाई जा सकती है।
- इसे चारा मशीन से बारीक काटकर खिलाना चाहिए ताकि पाचन अच्छा हो।
- साथ में सूखा चारा और दाना भी दें, ताकि संतुलित आहार मिले।
बरसीम की प्रमुख विशेषताएँ:
- उच्च प्रोटीन – इसमें 15–20% तक कच्चा प्रोटीन होता है, जो दूध उत्पादन बढ़ाने में मदद करता है।
- स्वादिष्ट और सुपाच्य – गायें इसे बहुत चाव से खाती हैं और आसानी से पचा लेती हैं।
- हरित चारे का अच्छा स्रोत – एक बार बोने पर 5–6 कटाई तक चारा मिलता है।
- नाइट्रोजन को मिट्टी में जोड़ता है – इससे मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है।
🌱 बरसीम की खेती कैसे करें:
- बोने का समय – अक्टूबर से नवंबर के बीच।
- बीज की मात्रा – प्रति बीघा लगभग 5–6 किलो बीज पर्याप्त होता है।
- सिंचाई – बोने के तुरंत बाद पहली सिंचाई, फिर हर 10–12 दिन में।
- खाद – गोबर की खाद और थोड़ी मात्रा में डीएपी/यूरिया डाल सकते हैं।
📉 कटाई और उत्पादन:
- पहली कटाई: बुवाई के 45-50 दिन बाद।
- हर कटाई के बाद: हर 20–25 दिन में नई कटाई हो सकती है।
- कुल उत्पादन: एक हेक्टेयर से 400–500 क्विंटल तक हरा चारा मिल सकता है।
🐄 पशुओं को खिलाने के फायदे:
- दूध की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार होता है।
- पाचन में आसान होता है, कब्ज या गैस की समस्या नहीं होती।
- बरसीम में पानी की मात्रा अधिक होती है, इसलिए साथ में थोड़ा सूखा चारा (भूसा) मिलाकर देना चाहिए।
ज्वार और मक्का (कटी हुई) — ये दोनों गर्मियों के मौसम में उगने वाले बहुपरिचित हरे चारे हैं और दुधारू पशुओं के लिए उत्तम, स्वादिष्ट व ऊर्जायुक्त आहार माने जाते हैं। इनका प्रयोग अक्सर हरी चारे की पूर्ति और दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाता है।
🌾 1. ज्वार (Sorghum) का चारा:
✔ विशेषताएँ:
- गर्मियों में उगाया जाता है (मार्च से जुलाई)
- फाइबर से भरपूर और सुपाच्य
- पशुओं को तृप्ति और ऊर्जा दोनों देता है
- पहली कटाई बुवाई के 45-50 दिन बाद
⚠️ सावधानी:
- पहली कटाई से पहले ज्वार में “Hydrocyanic Acid (HCN)” नामक विषैला पदार्थ हो सकता है, जिससे पशुओं की मृत्यु भी हो सकती है।
- इसलिए पहली कटाई हमेशा 45 दिन के बाद ही करें।
- पहली बारिश के बाद उगा ज्वार और कच्चे पौधे न खिलाएं।
🌽 2. मक्का (Maize/Corn) का चारा:
✔ विशेषताएँ:
- प्रोटीन व ऊर्जा से भरपूर
- अधिक स्वादिष्ट और सुपाच्य
- बुवाई से 60–70 दिन में कटाई के लिए तैयार
- मक्का चारे के साथ बरसीम या लुसेर्न मिलाकर खिलाना और भी फायदेमंद होता है
🐄 ज्वार और मक्का (कटी हुई) को खिलाने का तरीका:
- चारा मशीन से बारीक काटकर खिलाएं (चारा कटर मशीन)
- सूखे चारे (भूसा/कुट्टी) के साथ मिलाकर दें
- खनिज मिश्रण और दाना भी साथ दें
- हरा चारा दिन में 20–30 किलो तक गाय को दिया जा सकता है
🧪 साइलेंज़ बनाने में उपयोगी:
ज्वार और मक्का को काटकर अच्छी तरह दबाकर, प्लास्टिक शीट से ढक कर साइलेंज़ (Silage) बनाया जाता है, जो पूरे साल चारे के रूप में इस्तेमाल हो सकता है।
लुसेर्न (Alfalfa), जिसे हिंदी में राजका, चिनी चारा या अल्फाल्फा भी कहा जाता है, एक अत्यंत पोषक, बहुवर्षीय हरा चारा है जो खास तौर पर दुधारू पशुओं (गाय, भैंस आदि) के लिए बहुत लाभकारी होता है।
🟢 लुसेर्न (Alfalfa) की प्रमुख विशेषताएँ:
- ✅ उच्च प्रोटीन – इसमें 15–22% तक प्रोटीन होता है, जो दूध उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार करता है।
- ✅ कैल्शियम और मिनरल्स से भरपूर – यह पशुओं की हड्डियों व स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी है।
- ✅ बार-बार कटाई वाला चारा – एक बार बुवाई करने पर 3–4 साल तक लगातार चारा देता है।
- ✅ कम पानी में भी अच्छी पैदावार – बरसीम की तुलना में कम पानी में उग जाता है।
🌱 लुसेर्न की खेती कैसे करें:
बिंदु | विवरण |
---|---|
बुवाई का समय | अक्टूबर से दिसंबर |
बीज दर | 4–5 किलो प्रति बीघा |
खेत की तैयारी | भुरभुरी, अच्छे जल निकास वाली ज़मीन में बुवाई करें |
सिंचाई | पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद, फिर हर 10–12 दिन में |
खाद | गोबर की खाद, साथ में डीएपी + सिंगल सुपर फॉस्फेट |
🌾 कटाई और उत्पादन:
- पहली कटाई: बुवाई के 60-70 दिन बाद
- इसके बाद हर 25-30 दिन में एक कटाई
- एक वर्ष में 8–10 कटाई संभव
- उत्पादन: एक हेक्टेयर से 300–400 क्विंटल हरा चारा सालाना
🐄 पशुओं को खिलाने के फायदे:
- दूध की मात्रा और घनत्व (fat content) में वृद्धि
- बछड़ों, गर्भवती गायों और दुधारू पशुओं के लिए उत्तम
- कब्ज या अपच की समस्या नहीं होती
- लुसेर्न + सूखा चारा (भूसा) = संतुलित आहार
⚠️ सावधानियाँ:
- बहुत अधिक मात्रा में अकेले न खिलाएं, गैस बनने की संभावना रहती है।
- सूखे चारे के साथ मिलाकर देना अधिक लाभदायक होता है।
भूसा (गेहूं या धान का) और सूखी घास दोनों ही पशुओं के आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, खासकर जब हरा चारा उपलब्ध नहीं होता। हालांकि ये ऊर्जा और रेशा (fiber) का अच्छा स्रोत होते हैं, लेकिन इनमें प्रोटीन और खनिजों की मात्रा कम होती है। इसलिए इन्हें हरी घास, खल-बिनौला, और खनिज मिश्रण के साथ संतुलित करना ज़रूरी होता है।
🌾 1. भूसा (Wheat or Paddy Straw):
✅ गेहूं का भूसा:
- रंग हल्का सुनहरा, मुलायम होता है
- सुपाच्य और स्वादिष्ट
- रेशे (fiber) से भरपूर – पाचन तंत्र को ठीक रखता है
- दुधारू पशुओं को सुरक्षित रूप से दिया जा सकता है
⚠️ धान का भूसा:
- सख्त होता है, रेशा ज्यादा पर सुपाच्यता कम
- अगर छिलकों के साथ हो तो गले या आंतों में चोट कर सकता है
- इसे उबालकर या भिगोकर देना चाहिए
- 1:1 अनुपात में हरे चारे या दाने के साथ मिलाकर देना बेहतर होता है
🌿 2. सूखी घास (Dry Grass):
- बरसीम, नेपियर या अन्य हरी घास की सुखाकर बनाई जाती है
- सूखा मौसम आने पर हरे चारे की अनुपस्थिति में यह बहुत काम आती है
- इसमें ऊर्जा और रेशा होता है, लेकिन प्रोटीन कम
- इसे बारीक काटकर, खल और नमक मिलाकर खिलाना बेहतर रहता है
🐄 भूसा और सूखी घास का उपयोग कैसे करें:
मिश्रण | लाभ |
---|---|
भूसा + हरी घास | सुपाच्यता और संतुलन अच्छा होता है |
भूसा + दाना (concentrate) | दूध देने वाली गायों के लिए अच्छा |
भूसा + खनिज मिश्रण + नमक | कैल्शियम, फॉस्फोरस आदि की पूर्ति होती है |
भूसा + पानी छिड़ककर | सूखा भूसा गले को नुकसान न दे |
⚠️ ध्यान रखने योग्य बातें:
- केवल भूसा या सूखी घास पर निर्भर न रहें – इससे पोषण की कमी हो सकती है
- भूसे में मौजूद धूल या मिट्टी को हटाने के लिए हल्का भिगोकर देना बेहतर
- बासी या सड़ा-गला भूसा कभी न खिलाएं
सरसों की खल और मूंगफली की खल दोनों ही पशु आहार में प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत मानी जाती हैं। ये तेल निकालने के बाद बचा हुआ अंश होता है, जिसे “खल” या “खली” कहा जाता है और यह दुधारू पशुओं के लिए दाना (concentrate feed) का हिस्सा होता है।
🟡 1. सरसों की खल (Mustard Cake):
✔ लाभ:
- प्रोटीन में भरपूर (लगभग 30-38% कच्चा प्रोटीन)
- दूध उत्पादन और गाय की शरीर की स्थिति सुधारने में उपयोगी
- खनिज और विटामिन की भी अच्छी मात्रा
⚠️ सावधानी:
- कच्ची खल में ग्लूकोसिनोलेट्स नामक तत्व होते हैं जो ज्यादा मात्रा में नुकसान पहुँचा सकते हैं
- उबालकर या भिगोकर सुखाने के बाद खिलाना ज्यादा सुरक्षित रहता है
- दिन में 1.5–2.5 किलो तक दुधारू गाय को देना उपयुक्त होता है (वजन व दूध उत्पादन के अनुसार)
🟤 2. मूंगफली की खल (Groundnut Cake):
✔ लाभ:
- बहुत उच्च गुणवत्ता वाली खल (प्रोटीन लगभग 40-45% तक)
- सुपाच्य, स्वादिष्ट और ऊर्जा से भरपूर
- दूध की मात्रा और फैट % बढ़ाने में सहायक
- बछड़ों, गर्भवती गायों और उच्च दूध देने वाली भैंसों के लिए उत्तम
✔ प्रयोग:
- दिन में 2-3 किलो तक (पशु की जरूरत और अन्य आहार के अनुसार)
- खनिज मिश्रण और सूखे चारे के साथ मिलाकर देना चाहिए
🐄 प्रयोग कैसे करें (दोनों खल का):
खल | मिलाने का तरीका |
---|---|
सरसों की खल | भूसे या हरे चारे के साथ मिलाकर दें |
मूंगफली की खल | दाने के साथ मिश्रण बनाकर खिलाएं |
पानी मिलाकर | कई किसान खल को थोड़े पानी में भिगोकर फिर चारे में मिलाकर देते हैं |
⚖️ संतुलन ज़रूरी है:
- खल ज्यादा देने से कभी-कभी पेट फूलना, दस्त या अपच हो सकता है
- हमेशा खल के साथ सूखा चारा, हरा चारा और खनिज मिश्रण देना जरूरी होता है
मक्का (Corn), जौ (Barley), और चोकर (Bran) – ये तीनों पशुओं के लिए ऊर्जा और पाचन में सहायक तत्वों से भरपूर दानेदार आहार (Concentrate Feed) हैं। इन्हें विशेष रूप से दूध देने वाली गायों और भैंसों के लिए खल व भूसे के साथ मिलाकर संतुलित आहार के रूप में दिया जाता है।
🌽 1. मक्का (Corn/मकई)
✔ लाभ:
- ऊर्जा का प्रमुख स्रोत (कार्बोहाइड्रेट अधिक)
- सुपाच्य और स्वादिष्ट – गायें चाव से खाती हैं
- दूध की मात्रा बढ़ाने में मदद करता है
⚠️ सावधानी:
- अकेले ज्यादा मात्रा में देने से वसा (fat %) कम हो सकती है
- हरा चारा या फाइबर युक्त चारा के साथ मिलाकर देना चाहिए
➤ मात्रा: 1–2 किलो प्रतिदिन, गाय की आवश्यकता अनुसार
🌾 2. जौ (Barley)
✔ लाभ:
- कार्बोहाइड्रेट और थोड़ा प्रोटीन भी होता है (10–12%)
- दूध देने वाली गायों और भैंसों के लिए अच्छा
- पेट में जल्दी पच जाता है
✔ प्रयोग:
- साबुत या दरदरा पिसा हुआ देकर खल व भूसे में मिलाएं
- भीगाकर देना और भी बेहतर होता है
➤ मात्रा: 1–1.5 किलो प्रतिदिन
🟫 3. चोकर (Bran) — गेहूं का चोकर
✔ लाभ:
- फाइबर से भरपूर, पाचन सुधारने वाला
- विटामिन B ग्रुप व मिनरल्स का अच्छा स्रोत
- कब्ज, गैस जैसी समस्याओं में फायदेमंद
- खल और दानों के साथ मिलाकर देने से संतुलन बनता है
➤ मात्रा: 0.5–1 किलो प्रतिदिन
🐄 कैसे मिलाकर खिलाएं (फीड मिक्स):
आप चाहें तो इन तीनों का एक संतुलित मिश्रण बना सकते हैं:
घटक | मात्रा (प्रतिदिन/गाय) |
---|---|
मक्का | 1.5 किलो |
जौ | 1 किलो |
चोकर | 0.5 किलो |
सरसों/मूंगफली की खल | 2 किलो |
खनिज मिश्रण + नमक | 50–100 ग्राम |
भूसा या सूखा चारा | इच्छानुसार (5–10 किलो) |
हरा चारा (बरसीम/नेपियर) | 20–30 किलो |
✅ महत्वपूर्ण सुझाव:
- दाना हमेशा चारे के बाद दें, ताकि अपच न हो
- भूसे या हरे चारे में मिलाकर खिलाना सर्वोत्तम है
- ज्यादा मात्रा एक साथ न दें – 2 बार में बाँटकर दें (सुबह-शाम)
खनिज मिश्रण (Mineral Mixture) गाय, भैंस और अन्य दुधारू पशुओं के लिए एक अत्यंत आवश्यक पोषक तत्व है, जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है — जबकि यह दूध उत्पादन, प्रजनन क्षमता और संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए उतना ही जरूरी है जितना हरा चारा या खल।
🧪 खनिज मिश्रण में क्या-क्या होता है?
खनिज | कार्य |
---|---|
कैल्शियम (Ca) | हड्डियाँ मजबूत करता है, दूध में फैट बढ़ाता है |
फॉस्फोरस (P) | ऊर्जा चक्र और प्रजनन में सहायक |
मैग्नीशियम (Mg) | तंत्रिका तंत्र और चयापचय (metabolism) के लिए |
सोडियम (Na) व पोटेशियम (K) | शरीर का द्रव संतुलन बनाए रखते हैं |
आयोडीन, जिंक, कॉपर, कोबाल्ट, सेलेनियम | थायरॉइड, प्रतिरक्षा प्रणाली, प्रजनन और त्वचा/बाल स्वास्थ्य के लिए आवश्यक |
🐄 गाय/भैंस को खनिज मिश्रण देने के फायदे:
✅ दूध की मात्रा और गुणवत्ता (फैट % और SNF) बढ़ती है
✅ बछड़े मजबूत और स्वस्थ पैदा होते हैं
✅ प्रजनन शक्ति बढ़ती है (हीट में समय पर आना, गर्भधारण में मदद)
✅ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है
✅ खुर और त्वचा की बीमारियाँ कम होती हैं
📦 प्रयोग का तरीका:
- मात्रा:
👉 दुधारू गाय/भैंस: 50–100 ग्राम/प्रतिदिन
👉 बछड़े/गर्भवती गाय: 30–50 ग्राम/प्रतिदिन - कैसे दें:
🔹 दाने या खल के साथ मिलाकर
🔹 पानी में घोलकर (जहाँ प्रचलन हो)
🔹 लिक ब्लॉक (Mineral Lick Block) के रूप में चाटने के लिए
⚠️ ध्यान रखने योग्य बातें:
- सस्ता नकली खनिज मिश्रण नुकसानदायक हो सकता है – हमेशा प्रमाणित ब्रांड का उपयोग करें (जैसे: NDDB, Godrej, Amul आदि)
- खनिज मिश्रण और नमक दोनों देना जरूरी है – ये एक-दूसरे को पूरा करते हैं
- केवल खल, भूसा और चारे से सभी खनिज नहीं मिलते, इसलिए पूरक के रूप में खनिज मिश्रण जरूरी होता है
नमक (Salt) पशु आहार में एक छोटी मगर अत्यंत ज़रूरी भूमिका निभाता है। भले ही मात्रा कम हो, लेकिन इसके बिना पशुओं का पाचन, जल संतुलन और भूख सब प्रभावित हो सकते हैं।
🧂 नमक (साधारण नमक / Common Salt) के लाभ:
लाभ | विवरण |
---|---|
✅ भूख बढ़ाता है | पशुओं को खाने में रुचि आती है |
✅ पाचन में सहायक | पेट के रसों का निर्माण सुचारु करता है |
✅ जल संतुलन बनाए रखता है | गर्मियों में अत्यंत आवश्यक |
✅ खनिजों का संतुलन | सोडियम और क्लोराइड की पूर्ति करता है |
✅ लिक ब्लॉक के रूप में चाटने पर | तनाव और बोरियत कम होती है, बछड़ों के लिए बढ़िया |
📏 सुझाई गई मात्रा:
- दुधारू गाय/भैंस: 30–50 ग्राम प्रति दिन
- बछड़े: 10–20 ग्राम प्रति दिन
⚠️ नमक कभी भी अधिक मात्रा में न दें — इससे प्यास बढ़ेगी, दस्त या पाचन गड़बड़ हो सकता है।
🐄 कैसे दें:
तरीका | लाभ |
---|---|
खल या दाने में मिलाकर | सबसे सरल तरीका |
चारे पर छिड़ककर | जब खल न हो |
लिक ब्लॉक (Salt Lick) | जब फ्री चाटने के लिए देना हो |
❗ ध्यान रखें:
- यदि आप खनिज मिश्रण दे रहे हैं, तो भी थोड़ा नमक अलग से देना जरूरी है, क्योंकि खनिज मिश्रण में अक्सर नमक पर्याप्त मात्रा में नहीं होता।
- गर्मी के मौसम में नमक की जरूरत थोड़ी बढ़ जाती है – ताकि शरीर में इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बना रहे।
आपने बहुत सही बिंदु उठाए हैं! कपास का बिनौला, सरसों या तिल की खल, और दूध देने वाली गायों के लिए प्रोटीन व ऊर्जा युक्त आहार का चयन महत्वपूर्ण है। साथ ही साफ़, ताज़ा चारा, नियमित दिनचर्या और पानी की सही मात्रा गाय की सेहत और दूध उत्पादन को बेहतर बनाने में सहायक होते हैं। आइए इसे थोड़े विस्तार से समझते हैं:
🌾 1. कपास का बिनौला (Cottonseed Cake):
✔ विशेषताएँ:
- प्रोटीन और ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत – 30–35% कच्चा प्रोटीन
- वसा की मात्रा अधिक – दूध की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार करता है
- सुपाच्य – गायों को आसानी से पच जाता है
⚠️ सावधानी:
- कपास का बिनौला उच्च वसा वाला होता है, इसलिए अधिक मात्रा में न दें
- मात्रा: 500 ग्राम से 1 किलो प्रतिदिन (गाय की दूध उत्पादन क्षमता के आधार पर)
🌻 2. सरसों या तिल की खल (Mustard or Sesame Cake):
✔ विशेषताएँ:
- प्रोटीन में भरपूर – 30-40% कच्चा प्रोटीन
- ऊर्जा का अच्छा स्रोत – दुधारू गायों के लिए आदर्श
- अच्छा पाचन और संतुलित आहार
⚠️ सावधानी:
- ग्लूकोसिनोलेट्स (मस्टर्ड की खल में पाया जाने वाला तत्व) को उबालकर या भिगोकर खिलाना चाहिए, ताकि यह विषाक्त न हो।
- मात्रा: 1-2 किलो प्रतिदिन (दूध देने वाली गायों के लिए)
🐄 3. गाय को अधिक प्रोटीन और ऊर्जा युक्त आहार देना:
✅ प्रोटीन युक्त आहार:
- मूंगफली की खल, सरसों की खल, लुसेर्न (Alfalfa), कपास का बिनौला जैसे आहार प्रोटीन से भरपूर होते हैं।
- ये गाय के दूध उत्पादन को बढ़ाते हैं और वसा % (Fat %) को भी संतुलित करते हैं।
✅ ऊर्जा युक्त आहार:
- मक्का (Maize), जौ (Barley), चोकर (Bran) – ये कार्बोहाइड्रेट्स से भरपूर होते हैं और गाय को ऊर्जा देते हैं।
- गाय को ज्यादा ऊर्जा की जरूरत गर्भावस्था, दूध देने के दौरान और गर्मियों में होती है।
🧑🌾 4. चारा ताज़ा और साफ़ हो:
- हरे चारे में फफूंदी और सड़न से बचें क्योंकि यह पशु की सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।
- सूखा चारा (भूसा, चोकर) हमेशा साफ और सूखा रखें।
- हरी घास ताज़ी और हरी हो, कटी हुई घास को जल्द से जल्द उपयोग करें।
- पानी की स्वच्छता भी ज़रूरी है, हर समय साफ पानी उपलब्ध होना चाहिए।
📅 5. दिनचर्या नियमित रखें:
- समय पर चारा और पानी देना बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि गाय के शरीर की जैविक घड़ी और पाचन तंत्र सही ढंग से काम करें।
- सुबह-शाम चारा और पानी देने का एक नियमित समय रखें।
- गाय की भोजन की मात्रा और वजन के हिसाब से आहार की मात्रा तय करें।
🧑🍳 आहार योजना का सुझाव (प्रोटीन, ऊर्जा, और खनिज संतुलित):
आहार घटक | मात्रा (गाय के हिसाब से) |
---|---|
हरा चारा (बरसीम/नेपियर) | 20-30 किलो |
सूखा चारा (भूसा/चोकर) | 5-10 किलो |
मक्का (Maize) | 1-2 किलो |
जौ (Barley) | 1 किलो |
सरसों/तिल की खल | 1-2 किलो |
कपास का बिनौला | 0.5-1 किलो |
खनिज मिश्रण | 50-100 ग्राम |
नमक | 30-50 ग्राम |