जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया है। 22 अप्रैल 2025 को हुए इस हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई, जिनमें महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के नागरिक शामिल थे। हमलावर सेना या पुलिस की वर्दी में थे और उन्होंने एके-47 जैसे घातक हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग की। लश्कर-ए-तैयबा के सहयोगी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है ।
सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की प्रतिक्रिया
हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब का दौरा बीच में ही छोड़कर दिल्ली लौटते ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ बैठक की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने श्रीनगर में उच्चस्तरीय बैठक की, जिसमें जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी शामिल थे ।
नेशनल इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी (NIA) की टीम ने जांच शुरू कर दी है। सुरक्षा बलों ने इलाके में तलाशी अभियान तेज कर दिया है, जिसमें ड्रोन, खोजी कुत्ते और हेलीकॉप्टर की मदद ली जा रही है
स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
हमले के विरोध में जम्मू-कश्मीर के कई शहरों में बंद का ऐलान किया गया है। अमेरिका, रूस, इटली, संयुक्त अरब अमीरात, इजरायल, ईरान, जापान और जर्मनी सहित कई देशों ने इस आतंकी हमले की निंदा की है और भारत के प्रति समर्थन व्यक्त किया है ।
यदि आप इस हमले से संबंधित किसी विशेष पहलू के बारे में और जानकारी चाहते हैं, जैसे कि सुरक्षा बलों की कार्रवाई, पीड़ितों की पहचान, या राजनीतिक प्रतिक्रियाएं, तो कृपया बताएं।
सरकार की प्रतिक्रिया
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि “इस जघन्य कृत्य के पीछे जो लोग हैं, उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाएगा…उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। उनका नापाक एजेंडा कभी सफल नहीं होगा।”
- गृह मंत्री अमित शाह ने तुरंत एक आपातकालीन बैठक बुलाई और सभी सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों के साथ चर्चा की। उन्होंने कहा कि “इस जघन्य आतंकी हमले में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा और हम अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे।”
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हमले को “कायरतापूर्ण और अत्यंत निंदनीय” बताया और कहा कि “मेरी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं।”
🔍 सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई
- हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने कश्मीर घाटी में व्यापक तलाशी अभियान शुरू किया और 1500 से अधिक लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है।
- सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान के आतंकी संगठनों ने कश्मीर के कुछ लोकप्रिय टूरिस्ट प्लेस, खासतौर पर होटलों की रेकी करवाई थी।
🗣️ विपक्ष और अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया
- कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस हमले को “कायराना” बताया और कहा कि “सरकार जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य होने के खोखले दावों के बजाय अब जवाबदेही लेते हुए ठोस कदम उठाए।”
- कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि “यह कायराना हमला मानवता पर एक धब्बा है।”
- विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी हमले की निंदा की और पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की।
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना की कड़ी निंदा की और दोषियों को सख्त चेतावनी दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा:
“मैं जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा करता हूं। जिन लोगों ने अपने प्रियजनों को खोया है, उनके प्रति मेरी संवेदनाएं। मैं प्रार्थना करता हूं कि घायल लोग जल्द से जल्द ठीक हो जाएं। प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता प्रदान की जा रही है। इस जघन्य कृत्य के पीछे जो लोग हैं, उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाएगा। उन्हें बख्शा नहीं जाएगा! उनका नापाक एजेंडा कभी सफल नहीं होगा। आतंकवाद से लड़ने का हमारा संकल्प अडिग है और यह और भी मजबूत होगा।”
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि दोषियों को “धरती के अंतिम छोर तक” ढूंढकर सजा दी जाएगी।
इस हमले के बाद, भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को घटाया, 1960 के सिंधु जल संधि को निलंबित किया, और पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों को निष्कासित किया।
गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस हमले की निंदा की और श्रीनगर में उच्चस्तरीय बैठक की, जिसमें सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुख शामिल थे।
यह हमला अमरनाथ यात्रा से कुछ सप्ताह पहले हुआ, जिससे सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चिंता बढ़ गई है। सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने का संकल्प लिया है।
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के लिए घटनास्थल का दौरा किया। उन्होंने श्रीनगर में सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों के साथ बैठकें कीं और पीड़ितों से मुलाकात की। इसके बाद, वे दिल्ली लौटे और कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक में भाग लिया।
अमित शाह ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और भारत आतंक के आगे नहीं झुकेगा।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने अनंतनाग के अस्पताल में जाकर घायलों से मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली।
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22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटकों की जान गई, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस घटना की कड़ी निंदा की और भारत की आतंकवाद के प्रति ‘शून्य सहिष्णुता’ नीति को दोहराया।
राजनाथ सिंह की प्रतिक्रिया और कार्रवाई
- कड़ी निंदा और कड़ा संदेश: रक्षा मंत्री ने इस हमले को “धार्मिक रूप से प्रेरित” और “अत्यंत अमानवीय” बताया, और कहा कि “इस जघन्य कृत्य के लिए जिम्मेदार लोगों को जल्द ही एक स्पष्ट और कड़ा जवाब मिलेगा” ।
- सुरक्षा समीक्षा बैठकें: हमले के तुरंत बाद, राजनाथ सिंह ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ बैठक की। इस बैठक में उन्होंने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की और सशस्त्र बलों को आतंकवाद विरोधी अभियानों की तीव्रता बढ़ाने के निर्देश दिए ।
- सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता: रक्षा मंत्री ने गृह मंत्री अमित शाह के साथ मिलकर एक सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को हमले की गंभीरता और सरकार की प्रतिक्रिया से अवगत कराया गया ।
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने इस हमले के बाद पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को घटाया, 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित किया, और पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों को निष्कासित किया। पाकिस्तान ने इन आरोपों से इनकार किया और भारत के कदमों को “जल युद्ध” करार दिया ।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद के आगे नहीं झुकेगा और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा। उन्होंने कहा, “भारत की आतंकवाद के प्रति नीति स्पष्ट है—हम किसी भी कीमत पर आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेंगे” ।
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