हाँ, केंद्रीय बजट 2025-26 को लेकर काफ़ी उत्सुकता है क्योंकि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट होगा। निर्मला सीतारमण इस बजट को पेश करने वाली भारत की पहली वित्त मंत्री होंगी, जिन्होंने लगातार आठ बार बजट प्रस्तुत किया हो।
इस बजट से आम जनता, उद्योग जगत, और निवेशकों को कई उम्मीदें हैं। कुछ प्रमुख बिंदु जिन पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है:
मध्यम वर्ग के लिए आयकर में संभावित राहत
महंगाई नियंत्रण के लिए नीतियाँ
रोजगार सृजन और स्टार्टअप्स को बढ़ावा
इन्फ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल इंडिया को नई गति
कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए विशेष योजनाएँ
संभावित आयकर सुधार (2025 के केंद्रीय बजट में)
केंद्रीय बजट 2025-26 में मध्यम वर्ग और करदाताओं के लिए कई संभावित आयकर सुधार हो सकते हैं। ये सुधार विशेष रूप से टैक्स स्लैब, छूट और करदाताओं के लिए राहत देने वाली योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
1. आयकर स्लैब में बदलाव
- वर्तमान में, नया आयकर व्यवस्था 2.5 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता, और 2.5 लाख से 5 लाख तक की आय पर 5% टैक्स लगता है। इसके बाद, 5 लाख से 10 लाख तक 20% और 10 लाख रुपये से ऊपर 30% टैक्स लिया जाता है।
- संभावित सुधार:
- आयकर स्लैब में कमी: नए बजट में टैक्स स्लैब को फिर से संशोधित किया जा सकता है, जैसे 5 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं और 5 लाख से 10 लाख रुपये तक की आय पर 15% टैक्स लिया जा सकता है।
- नए टैक्स स्लैब का प्रस्ताव: 10 लाख रुपये तक की आय पर 25% टैक्स और 20 लाख रुपये तक की आय पर 30% टैक्स।
2. स्टैंडर्ड डिडक्शन में वृद्धि

- वर्तमान स्थिति: आयकर में स्टैंडर्ड डिडक्शन वर्तमान में 75,000 रुपये है।
- संभावित सुधार:
- इसे बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये किया जा सकता है, जिससे वेतनभोगी करदाताओं को अधिक राहत मिलेगी।
- इससे कर्मचारियों की कर योग्य आय कम हो जाएगी, और टैक्स पर बचत होगी।
3. टैक्स छूट की सीमा में वृद्धि
वर्तमान में: आयकर अधिनियम के तहत 80C के तहत विभिन्न निवेशों पर 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिलती है।
- संभावित सुधार:
- छूट की सीमा को बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये या उससे भी ज्यादा किया जा सकता है।
- इसके तहत पेंशन योजनाओं, जीवन बीमा, पीपीएफ (PFF), एनएससी (NSC), और अन्य कर-बचत योजनाओं में निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
4. वेतनभोगी वर्ग के लिए राहत
- वर्तमान स्थिति: वेतनभोगी वर्ग को विशेष रूप से आयकर से बचने के लिए हाउस रेंट अलाउंस (HRA) और स्वास्थ्य बीमा जैसी छूट मिलती है।
- संभावित सुधार:
- इन लाभों को बढ़ाकर आयकरदाता को और अधिक राहत दी जा सकती है।
- साथ ही, स्वास्थ्य बीमा पर अतिरिक्त छूट दी जा सकती है, ताकि लोग अपनी सेहत की देखभाल के लिए अधिक निवेश करें।
5. करदाता के लिए नई पहल और समावेशी योजनाएँ
- प्रमुख बदलाव:
- आयकर रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को और सरल किया जा सकता है, जैसे ऑनलाइन फाइलिंग की सुविधा को और बढ़ावा दिया जाएगा।
- करदाताओं को निवेश पर लाभ और कर छूट के बारे में सही जानकारी देने के लिए कर सहायता केंद्रों की संख्या बढ़ाई जा सकती है।
6. कॉर्पोरेट और व्यवसायिक कर सुधार
- संभावित सुधार:
- छोटे और मध्यम व्यापारियों के लिए व्यवसायिक कर में राहत हो सकती है, ताकि वे अपना कारोबार बढ़ा सकें।
- स्टार्टअप्स और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए टैक्स में छूट की नई योजनाएं पेश की जा सकती हैं
आयकर स्लैब में संभावित बदलाव (2025 केंद्रीय बजट में)
2025 के केंद्रीय बजट में आयकर स्लैब में बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है। सरकार का उद्देश्य करदाताओं को राहत देना और देश की अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करना है। वर्तमान आयकर स्लैब के तहत निम्नलिखित व्यवस्था है:
वर्तमान आयकर स्लैब (2024-25)
नई कर व्यवस्था (2020 से लागू)
- ₹2.5 लाख तक: कोई टैक्स नहीं
- ₹2.5 लाख से ₹5 लाख तक: 5% टैक्स
- ₹5 लाख से ₹10 लाख तक: 20% टैक्स
- ₹10 लाख से ऊपर: 30% टैक्स
पुरानी कर व्यवस्था (मान्य छूट और कटौती के साथ)
- ₹2.5 लाख तक: कोई टैक्स नहीं
- ₹2.5 लाख से ₹5 लाख तक: 5% टैक्स
- ₹5 लाख से ₹10 लाख तक: 20% टैक्स
- ₹10 लाख से ऊपर: 30% टैक्स
इसके अलावा, 60 साल से ऊपर (वरिष्ठ नागरिक) और 80 साल से ऊपर (अति वरिष्ठ नागरिक) के लिए कुछ अतिरिक्त छूट भी प्रदान की जाती है।
संभावित आयकर स्लैब में बदलाव
- 5 लाख रुपये तक आय पर कोई टैक्स नहीं:
- सरकार इस सीमा को और बढ़ा सकती है, जिससे मध्यम वर्ग को राहत मिले। 5 लाख रुपये तक की आय वाले करदाताओं को पूरी तरह से राहत मिल सकती है।
- नई आयकर स्लैब (2025 बजट में प्रस्तावित)
- कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, नया स्लैब हो सकता है:
- ₹5 लाख तक: कोई टैक्स नहीं
- ₹5 लाख से ₹10 लाख तक: 15% टैक्स
- ₹10 लाख से ₹20 लाख तक: 20% टैक्स
- ₹20 लाख से ऊपर: 30% टैक्स
- कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, नया स्लैब हो सकता है:
- कर छूट सीमा में वृद्धि:
- आयकर छूट सीमा को बढ़ाकर ₹10 लाख तक किया जा सकता है, जिससे वेतनभोगी वर्ग को और अधिक राहत मिल सकती है।
- विशेषकर वेतनभोगियों और छोटे व्यवसायियों के लिए छूट:
- वेतनभोगियों को बिजनेस डिडक्शन की छूट मिलने की संभावना है, ताकि वे अपनी कर योग्य आय को कम कर सकें।
आयकर स्लैब में संभावित बदलाव का उद्देश्य
- मध्यम वर्ग को राहत: आयकर स्लैब में बदलाव से मध्यम वर्ग को खासतौर पर राहत मिल सकती है, जिससे उनकी खर्च करने योग्य आय बढ़ेगी।
- प्रेरित कर व्यवस्था: नए स्लैब से करदाताओं के लिए व्यवस्था सरल और अधिक प्रोत्साहक बन सकती है, जिससे करदाताओं की संख्या बढ़े और सरकार को टैक्स संग्रहण में मदद मिले
स्टैंडर्ड डिडक्शन में वृद्धि (2025 के केंद्रीय बजट में)
स्टैंडर्ड डिडक्शन वह राशि होती है, जो वेतनभोगी करदाताओं की कर योग्य आय से घटा दी जाती है। यह राशि सीधे वेतन से कम की जाती है और इसके परिणामस्वरूप करदाता को आयकर पर राहत मिलती है। यह विशेष रूप से वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए है और इसे लागू करने के लिए किसी विशेष दस्तावेज़ीकरण की आवश्यकता नहीं होती।
वर्तमान स्थिति:
- स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा ₹50,000 है, जो केवल वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए उपलब्ध है।
- 80C के तहत अन्य डिडक्शन के अलावा, स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ करदाताओं को मिलता है।
संभावित सुधार:
2025 के केंद्रीय बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़ाने की उम्मीद जताई जा रही है, जो विशेष रूप से वेतनभोगी वर्ग को राहत प्रदान कर सकता है।
अधिकारियों का अनुमान है कि वित्त मंत्री स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को ₹75,000 से ₹1,25,000 तक बढ़ा सकती हैं, जो करदाताओं को अतिरिक्त कर राहत प्रदान करेगा।
स्टैंडर्ड डिडक्शन में वृद्धि का प्रभाव:
- कर योग्य आय में कमी:
- यदि स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाकर ₹1,25,000 कर दिया जाता है, तो इसका सीधा असर यह होगा कि कर्मचारियों की कर योग्य आय में कमी आ जाएगी, जिससे उनके ऊपर लगने वाला कर भी घटेगा।
- महंगाई के मुकाबले राहत:
- महंगाई के इस दौर में कर्मचारियों की खर्चों में वृद्धि हो रही है, ऐसे में स्टैंडर्ड डिडक्शन में वृद्धि से उनकी कर योग्य आय कम होने के कारण आर्थिक राहत मिल सकती है।
- मध्यम वर्ग को लाभ:
- स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ने से वेतनभोगी कर्मचारियों को फायदा होगा, खासतौर पर मध्यम वर्ग के उन कर्मचारियों को जिनकी वार्षिक आय ₹10 लाख तक है।
- सरकार का कर संग्रहण:
- इस प्रकार की छूट से करदाताओं के लिए कम टैक्स का भुगतान करना आसान होगा, लेकिन साथ ही यह भी देखा जाएगा कि इससे सरकार के कर संग्रहण पर क्या असर पड़ता है।
क्यों बढ़ाई जा सकती है स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा?
- करदाताओं के लिए राहत: महंगाई और उच्च जीवनस्तर को ध्यान में रखते हुए, सरकार मध्यम वर्ग को अतिरिक्त राहत देने की योजना बना सकती है।
- आर्थिक प्रोत्साहन: जब करदाताओं को अधिक छूट मिलती है, तो उनके पास अधिक खर्च करने योग्य आय होती है, जो आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देती है।
- सरकारी योजनाओं में सुधार: अधिक टैक्स राहत से सरकार के पास भी निवेश और विकास के लिए अधिक संसाधन हो सकते हैं।
टैक्स छूट की सीमा में वृद्धि (2025 केंद्रीय बजट में)
2025 के केंद्रीय बजट में टैक्स छूट की सीमा में वृद्धि करने की संभावना है, जिसका उद्देश्य करदाताओं को और अधिक राहत देना है। वर्तमान में, आयकर अधिनियम के तहत करदाताओं को विभिन्न निवेशों और खर्चों पर छूट दी जाती है। इन छूटों का मुख्य उद्देश्य करदाताओं को अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित करना और उनकी कर योग्य आय को घटाकर कर बोझ को कम करना है।
वर्तमान स्थिति:
वर्तमान में, आयकर अधिनियम के तहत विभिन्न प्रकार की टैक्स छूट और कटौतियाँ उपलब्ध हैं, जैसे:
- धारा 80C:
- इसमें अधिकतम ₹1.5 लाख तक की छूट मिलती है। इस अंतर्गत निवेश किए गए पैसे पर छूट दी जाती है, जैसे पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (NSC), जीवन बीमा प्रीमियम, 5 साल के सावधि जमा, और बच्चों की शिक्षा/शादी के लिए योजना।
- धारा 80D:
- स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर ₹25,000 (साधारण करदाता के लिए) और ₹50,000 (वरिष्ठ नागरिकों के लिए) तक की छूट मिलती है।
- धारा 24(b):
- घर के कर्ज पर ब्याज की छूट ₹2 लाख तक मिलती है।
- धारा 10(10D):
- जीवन बीमा की प्राप्त राशि पर छूट मिलती है, यदि यह नीति 5 साल या उससे अधिक समय तक सक्रिय रही हो।
संभावित सुधार:
केंद्रीय बजट 2025 में सरकार द्वारा टैक्स छूट की सीमा में वृद्धि की संभावना जताई जा रही है। यह कदम मध्यम वर्ग को अधिक राहत देने और निवेश को बढ़ावा देने के लिए उठाया जा सकता है। इसके तहत:
- धारा 80C की सीमा बढ़ाना:
- ₹1.5 लाख की सीमा को बढ़ाकर ₹2.5 लाख या उससे भी अधिक किया जा सकता है। इससे करदाताओं को अधिक निवेश पर छूट मिलेगी, जो उन्हें अपनी आय को कम करने में मदद करेगा।
- धारा 80D की सीमा में वृद्धि:
- स्वास्थ्य बीमा पर छूट की सीमा को बढ़ाकर ₹50,000 से ₹75,000 किया जा सकता है। इससे करदाता स्वास्थ्य बीमा में अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित होंगे।
- धारा 80E (शिक्षा ऋण पर छूट):
- शिक्षा ऋण पर टैक्स छूट को बढ़ाने के उपाय हो सकते हैं, ताकि अधिक लोग शिक्षा ऋण लेकर अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें।
- ब्याज छूट में वृद्धि:
- घर के कर्ज पर ब्याज की छूट को ₹2 लाख से बढ़ाकर ₹3 लाख किया जा सकता है, जिससे घर खरीदने के इच्छुक लोगों को राहत मिलेगी।
टैक्स छूट की सीमा में वृद्धि का प्रभाव:
- करदाताओं को राहत:
- मध्यम वर्ग और वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए यह बदलाव बहुत महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इससे उनके कर योग्य आय में कमी आएगी और उन्हें कम टैक्स देना पड़ेगा।
- निवेश बढ़ावा:
- बढ़ी हुई छूट सीमा से लोग अधिक निवेश करेंगे, जिससे सेविंग्स और निवेश की आदतें भी बढ़ेंगी। यह देश की आर्थिक वृद्धि के लिए अच्छा संकेत हो सकता है।
- रियल एस्टेट और अन्य सेक्टर्स में वृद्धि:
- रियल एस्टेट में निवेश पर भी छूट मिलने से इस क्षेत्र में और अधिक गतिविधियां हो सकती हैं। इसके अलावा, स्वास्थ्य बीमा में निवेश बढ़ने से स्वास्थ्य सेवाओं में भी सुधार हो सकता है।
- पारदर्शिता और सरलता:
- टैक्स छूट की सीमा में वृद्धि से कर प्रणाली और अधिक साधारण और समझने में आसान बन सकती है, जिससे अधिक लोग अपनी आयकर रिटर्न फाइल कर सकेंगे
वेतनभोगी वर्ग के लिए राहत (2025 केंद्रीय बजट में)
वेतनभोगी वर्ग को आयकर और अन्य वित्तीय लाभों के संदर्भ में राहत देने के लिए केंद्रीय बजट 2025 में विभिन्न सुधारों की उम्मीद जताई जा रही है। सरकार का उद्देश्य मध्यम वर्ग और वेतनभोगी कर्मचारियों की वित्तीय स्थिति को सुधारना है, ताकि वे अपनी आय पर कम कर दे सकें और अधिक खर्च करने योग्य आय प्राप्त कर सकें।
संभावित सुधार:
- आयकर स्लैब में बदलाव:
- आयकर स्लैब में परिवर्तन से वेतनभोगी वर्ग को कर योग्य आय में राहत मिल सकती है। उदाहरण के लिए, 5 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं, और 5 लाख से 10 लाख रुपये तक की आय पर 15% टैक्स जैसे सुधार से कर्मचारियों को राहत मिल सकती है।
- स्टैंडर्ड डिडक्शन में वृद्धि:
- स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव किया जा सकता है, जो फिलहाल ₹50,000 है। इसे बढ़ाकर ₹75,000 या ₹1.25 लाख किया जा सकता है। इससे वेतनभोगी कर्मचारियों की कर योग्य आय कम हो जाएगी, और उन्हें आयकर पर राहत मिलेगी।
- स्वास्थ्य बीमा पर छूट (धारा 80D):
- स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर धारा 80D के तहत छूट बढ़ाने की संभावना हो सकती है। वर्तमान में ₹25,000 तक की छूट मिलती है, जबकि वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह ₹50,000 तक है। इसे बढ़ाकर ₹50,000 और ₹75,000 किया जा सकता है।
- पेंशन योजनाओं में निवेश पर छूट:
- वेतनभोगी वर्ग के लिए पेंशन योजनाओं में अधिक निवेश करने की टैक्स छूट का प्रस्ताव किया जा सकता है। इससे करदाताओं को भविष्य के लिए पेंशन तैयार करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
- स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और सरकारी कर्मचारियों के लिए विशेष योजनाएं:
- वेतनभोगी सरकारी कर्मचारियों और सेवानिवृत्त कर्मियों के लिए पेंशन पर कर छूट को बढ़ाकर और सेवानिवृत्ति योजना में निवेश पर छूट बढ़ाई जा सकती है।
- हाउस रेंट अलाउंस (HRA):
- HRA (House Rent Allowance) पर टैक्स छूट को और विस्तारित किया जा सकता है, ताकि वेतनभोगी वर्ग को भवन किराया पर कम कर देना पड़े।
- साधारण करदाता के लिए विशेष कटौतियाँ:
- वेतनभोगी वर्ग को आयकर की छूट सीमा में वृद्धि हो सकती है। इससे उनके लिए वेतन पर टैक्स देनदारी में कमी आएगी, जिससे अधिक आय की बचत संभव होगी।
- फ्रीलांस और अनुबंध कर्मचारियों के लिए राहत:
- फ्रीलांस और अनुबंध कर्मचारियों के लिए भी कुछ विशेष राहत की संभावना है, जैसे इन कर्मचारियों को स्वतंत्र श्रमिकों के लिए कटौती या सेवानिवृत्ति योजनाओं में निवेश पर टैक्स छूट दी जा सकती है।
वेतनभोगी वर्ग के लिए राहत के लाभ:
- आर्थिक स्थिरता और सुधार:
- करदाताओं को मिलने वाली राहत से उनकी खर्च करने योग्य आय बढ़ेगी, जिससे खपत और बाजार में वृद्धि होगी।
- निवेश में वृद्धि:
- टैक्स में राहत मिलने से लोग अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित होंगे, जिससे सेविंग्स और पेंशन योजनाओं में निवेश बढ़ेगा।
- वेतनभोगी कर्मचारियों का मनोबल:
- जब सरकार वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए विभिन्न राहतें प्रदान करती है, तो यह मनोबल को बढ़ाता है और कर्मचारियों के लिए सरकारी नीतियों का सकारात्मक प्रभाव दिखता है।
- महंगाई से निपटना:
- महंगाई के चलते वेतनभोगी वर्ग की जीवनशैली पर दबाव बढ़ता है। टैक्स राहत से उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार आ सकता है और वे अधिक आराम से जीवन यापन कर सकते हैं
वेतनभोगी वर्ग के लिए राहत (2025 केंद्रीय बजट में)
वेतनभोगी वर्ग के लिए केंद्रीय बजट 2025 में राहत की उम्मीद जताई जा रही है। वेतनभोगी वर्ग यानी वे कर्मचारी जो नौकरी करते हैं और नियमित वेतन प्राप्त करते हैं, उनके लिए बजट में विभिन्न प्रकार की आर्थिक राहत दी जा सकती है। यह राहत उन्हें कर बोझ को कम करने, निवेश को बढ़ावा देने और स्वास्थ्य और रिटायरमेंट जैसी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दी जा सकती है।
वेतनभोगी वर्ग के लिए राहत के उपाय:
1. आयकर स्लैब में बदलाव
- आयकर स्लैब में संभावित बदलाव से वेतनभोगी कर्मचारियों को कर राहत मिल सकती है।
- उदाहरण स्वरूप, ₹5 लाख तक की आय पर टैक्स को खत्म किया जा सकता है और ₹5 लाख से ₹10 लाख तक की आय पर टैक्स दर को 15% तक घटाया जा सकता है। इससे वेतनभोगियों को कर भुगतान में कमी आएगी।
2. स्टैंडर्ड डिडक्शन में वृद्धि
- स्टैंडर्ड डिडक्शन (जो वेतन से स्वचालित रूप से घटा दी जाती है) की सीमा को बढ़ाकर ₹75,000 या ₹1,25,000 किया जा सकता है।
- इससे वेतनभोगी कर्मचारियों की कर योग्य आय कम हो जाएगी और उनका कर बोझ घटेगा।
3. HRA (House Rent Allowance) पर छूट में वृद्धि
- HRA (House Rent Allowance) पर टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाकर वेतनभोगी कर्मचारियों को आर्थिक राहत मिल सकती है।
- इससे मध्यम वर्ग और शहरों में रहने वाले कर्मचारियों को लाभ होगा, क्योंकि वे किराए के भुगतान में छूट प्राप्त कर सकते हैं।
4. स्वास्थ्य बीमा पर छूट में वृद्धि
- स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) प्रीमियम पर छूट को ₹50,000 से बढ़ाकर ₹75,000 किया जा सकता है।
- यह वेतनभोगी कर्मचारियों को स्वास्थ्य देखभाल के खर्च में राहत देगा और उन्हें बीमारी के समय आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगा।
5. पेंशन योजनाओं में छूट
- पेंशन योजनाओं में निवेश करने के लिए छूट सीमा में वृद्धि की जा सकती है।
- यह वेतनभोगियों को अपनी रिटायरमेंट के लिए अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित करेगा, जिससे वे भविष्य में सुरक्षित रहेंगे।
6. शिक्षा और कौशल विकास पर छूट
- शिक्षा और कौशल विकास पर खर्च करने पर छूट की सीमा बढ़ाई जा सकती है।
- इससे वेतनभोगी कर्मचारी अपने कौशल को बेहतर बना सकते हैं, जिससे उन्हें करियर में विकास और अच्छे अवसर मिल सकते हैं।
7. वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए बोनस और ओवरटाइम पर राहत
- वेतनभोगी कर्मचारियों के ओवरटाइम और बोनस पर टैक्स छूट को बढ़ाकर उनके अतिरिक्त आय पर राहत दी जा सकती है।
वेतनभोगी वर्ग को मिलने वाली राहत का प्रभाव:
- कर योग्य आय में कमी:
- आयकर स्लैब में बदलाव, स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़ाने और अन्य छूट के उपायों से वेतनभोगी कर्मचारियों की कर योग्य आय में कमी आएगी, जिससे उनकी कर बोझ कम होगा।
- निवेश में बढ़ोतरी:
- पेंशन योजनाओं और स्वास्थ्य बीमा में छूट बढ़ने से कर्मचारियों को अधिक निवेश करने के लिए प्रेरणा मिल सकती है, जिससे उनका वित्तीय सुरक्षा बढ़ेगा।
- स्वास्थ्य और रिटायरमेंट में सुरक्षा:
- स्वास्थ्य बीमा और पेंशन योजनाओं पर दी जाने वाली छूट से कर्मचारियों को स्वास्थ्य और रिटायरमेंट के लिए बेहतर सुरक्षा मिलेगी, जो भविष्य में उनके लिए काफी मददगार होगी।
- आर्थिक आत्मनिर्भरता:
- छूट और टैक्स राहत से कर्मचारियों के पास अधिक खर्च करने योग्य आय होगी, जिससे वे अपनी आवश्यकताओं को बेहतर तरीके से पूरा कर सकेंगे।
- समाज में विकास:
- इस तरह की राहत से कर्मचारियों को अपनी जीवनशैली में सुधार करने का अवसर मिलेगा, जिससे खपत बढ़ेगी और समाज में आर्थिक विकास की दिशा में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
निष्कर्ष: 2025 के केंद्रीय बजट में वेतनभोगी वर्ग को राहत देने के लिए किए गए कदमों से उनकी कर योग्य आय घटेगी और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। इस राहत से वे अधिक निवेश करेंगे, अपनी स्वास्थ्य सुरक्षा को बेहतर बनाएंगे और रिटायरमेंट के लिए तैयार रहेंगे। इन सभी उपायों से वेतनभोगी वर्ग की आर्थिक सुरक्षा बढ़ेगी और उनकी जीवनशैली में सुधार आएगा।
करदाता के लिए नई पहल और समावेशी योजनाएँ (2025 केंद्रीय बजट में)
2025 के केंद्रीय बजट में करदाता के लिए नई पहल और समावेशी योजनाओं का प्रस्ताव किया जा सकता है, जिनका उद्देश्य न केवल कर प्रणाली को अधिक सुलभ और पारदर्शी बनाना है, बल्कि आम नागरिक को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना और उन्हें समग्र विकास की दिशा में प्रोत्साहित करना है। इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य न्यायपूर्ण कराधान और समाज के सभी वर्गों का समावेश करना हो सकता है।
करदाता के लिए संभावित नई पहल और समावेशी योजनाएँ:
1. आधुनिक और सरल कर प्रणाली
- ई-फाइलिंग और ऑनलाइन टैक्स भुगतान को और भी सरल और सहज बनाने के लिए नए सुधार हो सकते हैं।
- पारदर्शिता और समझने में आसान कर प्रणाली के तहत, करदाताओं के लिए टैक्स रिटर्न फाइल करना और अपनी कर स्थिति जानना आसान होगा।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल कर कर चोरी को कम करने और समय पर कर भुगतान सुनिश्चित करने के उपाय किए जा सकते हैं।
2. करदाता सेवा केंद्र (Taxpayer Service Centers)
- सरकार करदाता सेवा केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव कर सकती है, जहाँ करदाताओं को कर सम्बन्धी जानकारी, समस्या निवारण और सहायता मिल सके।
- इन केंद्रों से स्वतंत्र सलाह और स्वयं सहायता विकल्प उपलब्ध होंगे, जिससे करदाता अपने कर रिटर्न और अन्य कर सम्बंधी कार्यों में सहजता से मदद प्राप्त कर सकेंगे।
3. नई छूट योजनाएँ और टैक्स क्रेडिट
- स्वास्थ्य बीमा या रिटायरमेंट सेविंग्स जैसे निवेशों पर दी जाने वाली छूट की सीमा में वृद्धि की जा सकती है।
- आयकर क्रेडिट और साधारण करदाताओं के लिए विशेष प्रोत्साहन योजनाएँ शुरू की जा सकती हैं। विशेषकर, मध्यम वर्ग के लिए यह योजनाएँ आर्थिक सहायता का एक प्रमुख स्रोत बन सकती हैं।
4. स्व-नियोजित और छोटे व्यापारियों के लिए योजनाएँ
- स्व-नियोजित पेशेवरों (self-employed professionals) और छोटे व्यापारियों के लिए कम टैक्स दरों की घोषणा की जा सकती है।
- छोटे व्यवसायों को अर्थव्यवस्था में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, और कर भुगतान के लिए सरल और समझने योग्य विकल्प दिए जाएंगे।
5. स्मार्ट कर भुगतान प्रणाली (Smart Tax Payment System)
- सरकार एक स्मार्ट कर भुगतान प्रणाली विकसित कर सकती है, जहां करदाता अपने इनकम के आधार पर स्वचालित रूप से कर दे सकेंगे।
- इसके तहत, अधिसूचना प्रणाली होगी, जिसमें करदाता को पहले से ही पेशगी जानकारी दी जाएगी कि उन्हें कितना टैक्स देना है और किस तारीख तक।
6. समावेशी टैक्स क्रेडिट और इंसेंटिव्स
- वृद्धावस्था पेंशन, स्वास्थ्य देखभाल, और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में समावेशी टैक्स क्रेडिट की शुरुआत की जा सकती है, जो समाज के अल्पसंख्यक वर्गों, वृद्धों, और कम आय वाले लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी हो सकता है।
- इन समावेशी योजनाओं के तहत इन वर्गों को कर से संबंधित कई छूट मिल सकती है, जिससे उनका जीवन स्तर ऊंचा उठ सके।
7. नए करदाताओं को प्रोत्साहन (Incentives for New Taxpayers)
- सरकार नई करदाता योजना शुरू कर सकती है, जहां नए करदाता को पहले तीन साल तक कम टैक्स दरें या टैक्स छूट दी जा सकती हैं।
- साथ ही, एक स्वच्छ और पारदर्शी टैक्स प्रणाली के तहत, नई कंपनियों और व्यापारियों को कम ब्योरा और स्वतंत्र करदाताओं के रूप में कर वसूली में सुधार मिलेगा।
8. पारदर्शी और तेज कर वसूली प्रणाली
- कर वसूली के मामले में स्ट्रैटेजिक सुधार किया जा सकता है, जिससे न केवल करदाताओं को अधिक पारदर्शिता मिल सके, बल्कि सिस्टम को सरल और तेज भी बनाया जा सके।
- क्लियरेंस प्रणाली और ऑटोमैटेड टैक्स कैल्कुलेटर के जरिए, वसूली की प्रक्रिया को स्मार्ट और पारदर्शी बनाया जा सकता है।
समावेशी योजनाओं के लाभ:
- आसान कर भुगतान:
- करदाता के लिए सरल, पारदर्शी और स्वचालित प्रणाली कर भुगतान को आसान बनाएगी, जिससे करदाता समय पर और सही तरीके से टैक्स दे सकेंगे।
- स्वतंत्रता और वित्तीय सुरक्षा:
- नए वृद्धावस्था पेंशन और स्वास्थ्य बीमा जैसे उपायों से समाज के कमज़ोर वर्गों को वित्तीय सुरक्षा मिलेगी।
- व्यापार और उद्योग में सुधार:
- स्व-नियोजित पेशेवरों और छोटे व्यापारियों के लिए राहत से आर्थिक वृद्धि हो सकती है। व्यापारियों को न्यूनतम कर भुगतान के साथ आर्थिक प्रोत्साहन मिलेगा।
- सामाजिक समावेशन:
- सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा के उपायों से अल्पसंख्यक वर्गों, वृद्धों और कम आय वाले लोगों को आर्थिक रूप से समर्थ बनाया जा सकता है।
- मध्यम वर्ग को राहत:
- करदाताओं को निवेश और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में नई छूट मिल सकती है, जो उन्हें वित्तीय सुरक्षा प्रदान करेगी।
निष्कर्ष:
2025 के केंद्रीय बजट में नई पहल और समावेशी योजनाओं से सरकार का उद्देश्य सभी वर्गों को समाहित करना, आर्थिक सुरक्षा बढ़ाना और कर प्रणाली को अधिक स्वच्छ, सरल और सुलभ बनाना हो सकता है। इस प्रकार के सुधार से करदाताओं को बेहतर सहायता मिलेगी और आर्थिक समावेशन को बढ़ावा मिलेगा।कॉर्पोरेट और व्यवसायिक कर सुधार (2025 केंद्रीय बजट में)
2025 के केंद्रीय बजट में कॉर्पोरेट और व्यवसायिक कर सुधार के कई उपायों की संभावना जताई जा रही है। इन सुधारों का उद्देश्य भारत को वैश्विक व्यापार केंद्र बनाना और व्यवसायों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देना हो सकता है। इसके तहत छोटे, मंझले और बड़े व्यवसायों को कर दरों में छूट, निवेश में सुधार, और सरकारी नीतियों के तहत प्रोत्साहन मिल सकते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था को तेजी से बढ़ावा मिलेगा।
कॉर्पोरेट और व्यवसायिक कर सुधार के संभावित उपाय:
1. कॉर्पोरेट टैक्स दरों में कमी
- कॉर्पोरेट टैक्स की दर को और कम किया जा सकता है, ताकि भारत में व्यापार करने की लागत घटे।
- नौकरी सृजन और निवेश को बढ़ावा देने के लिए कॉर्पोरेट टैक्स को 25% या उससे कम किया जा सकता है।
- इसके साथ ही, छोटे व्यवसायों के लिए अलग और कम दर रखी जा सकती है, जिससे उन्हें विकास और विस्तार में सहायता मिल सके।
2. नए व्यापारों के लिए कर छूट
- नए स्टार्टअप्स और व्यवसायों के लिए विशेष कर छूट दी जा सकती है, ताकि वे अपनी निवेश प्रक्रिया को सरल और अधिक कुशल बना सकें।
- यह योजना विशेष रूप से टेक्नोलॉजी, सस्टेनेबिलिटी, और इनोवेशन में निवेश करने वाले स्टार्टअप्स के लिए हो सकती है।
3. मूल्य वर्धित कर (GST) और कॉर्पोरेट कर सुधार
- GST प्रणाली में सुधार कर कर प्रणाली को अधिक सरल और व्यवसायों के लिए अनुकूल बनाया जा सकता है।
- जीएसटी अनुपालन में सरलता और नए व्यापारों के लिए दंड कम करना कारोबारों को और अधिक प्रतिस्पर्धात्मक बना सकता है।
- GST के तहत नोटिफिकेशन और मंजूरी के मामलों में पारदर्शिता और गति बढ़ाने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं।
4. निवेश छूट और प्रोत्साहन
- सरकार निवेश छूट योजनाओं को बढ़ा सकती है, जिससे कॉर्पोरेट्स और व्यवसायों को नई तकनीकों और इनोवेटिव प्रोजेक्ट्स में निवेश करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
- साथ ही, ऊर्जा दक्षता, हरित तकनीक और पर्यावरणीय संरक्षण में निवेश को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रोत्साहन योजनाएँ पेश की जा सकती हैं।
5. लघु और मंझले व्यापारों (SMEs) के लिए कर राहत
- लघु और मंझले व्यापारों के लिए कर दरों में विशेष छूट दी जा सकती है, ताकि वे अपने व्यापार को विस्तार और संवर्धन कर सकें।
- इसके अलावा, इन व्यापारों को करों के अनुपालन और रिपोर्टिंग प्रक्रियाओं में सरलता मिल सकती है, जिससे उनकी निवेश क्षमता बढ़ेगी।
6. विदेशी निवेशकों के लिए कर लाभ
- विदेशी निवेशकों के लिए भारत में निवेश करने को आकर्षक बनाने के लिए कर लाभ और छूट योजनाएँ दी जा सकती हैं।
- एफडीआई (FDI) के लिए सरल और स्पष्ट नीतियाँ और कम टैक्स दरें सुनिश्चित करने से अंतरराष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन मिल सकता है।
7. नया कर क्रेडिट प्रणाली
- एक नई कर क्रेडिट प्रणाली शुरू की जा सकती है, जहां कंपनियां अपने निवेश पर कर क्रेडिट प्राप्त कर सकती हैं।
- यह व्यवस्था ऑटोमेटेड तरीके से काम कर सकती है, जिससे कंपनियों को अधिक कर छूट और निवेश पर अधिक लाभ मिल सके।
8. व्यावसायिक निवेश के लिए उधारी की छूट
- कंपनियों के लिए उधारी पर दी जाने वाली छूट और ऋण पर कर राहत के उपायों को लागू किया जा सकता है।
- इसके तहत, कंपनियाँ अपने व्यापार के लिए अधिक ऋण लेने में सक्षम हो सकती हैं, जिससे उनका विकास और विस्तार तेज हो सकता है।
9. कंपनी गठन और विलय/अधिग्रहण (M&A) पर कर सुधार
- कंपनी के गठन, विलय, और अधिग्रहण (M&A) के मामलों में कर नीतियों में सुधार किया जा सकता है।
- विशेषकर, विलय और अधिग्रहण के लिए करों में छूट और सरल प्रक्रियाएँ दी जा सकती हैं, जिससे कंपनियों के लिए यह प्रक्रिया तेज और सरल हो।
10. मूल्य वर्धित कर (GST) पर सरल नीतियाँ
- GST को और अधिक व्यवसायों के अनुकूल बनाने के लिए उसमें बदलाव किए जा सकते हैं, जैसे सरल फाइलिंग प्रक्रियाएँ, न्यूनतम दस्तावेज़ीकरण और तेज़ पंजीकरण प्रक्रिया।
- इसके साथ ही, GST रिफंड के मामलों में भी सुधार किए जा सकते हैं।
कॉर्पोरेट और व्यवसायिक कर सुधार के लाभ:
- व्यवसायों की प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि:
- कर दरों में कमी और अन्य कर सुधारों से भारत में व्यापार करना अधिक लाभकारी और आकर्षक बन सकता है, जिससे घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय व्यापारियों को निवेश करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
- नौकरी सृजन:
- व्यापारियों को दी जाने वाली राहत और निवेश प्रोत्साहन योजनाओं से नौकरी सृजन में वृद्धि हो सकती है, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
- निवेश आकर्षण:
- विदेशी निवेशकों और स्थानीय कंपनियों के लिए विशेष कर छूट से भारत में निवेश बढ़ेगा, जिससे आर्थिक वृद्धि को बल मिलेगा।
- छोटे और मंझले व्यापारों को बढ़ावा:
- SMEs को दी जाने वाली कर राहत से वे विकसित और सक्षम बन सकते हैं, जिससे आर्थिक वृद्धि में योगदान होगा।
- सरलता और पारदर्शिता:
- कर सुधारों और ऑटोमेटेड प्रक्रियाओं से व्यवसायों को लाभ मिलेगा, और कर प्रणाली को और अधिक पारदर्शी और सरल बनाया जा सकेगा