1.कान में दर्द (Ear pain) – संक्रमण या चोट के कारण हो सकता है।
2.कान बहना (Ear discharge) – संक्रमण, फोड़ा या परदा फटने से।
3.सुनाई न देना (Hearing loss) – उम्र, शोर, या कान में मैल जमा होने से।
4.कान में घंटी बजना (Tinnitus) – लगातार सीटी जैसी आवाज़ सुनाई देना।
5.कान का बंद हो जाना (Blocked ear) – सर्दी-जुकाम, मैल या फ्लाइट के दौरान दबाव बदलाव से।
कान में दर्द (Ear Pain / Otalgia) एक आम समस्या है, और इसके कई कारण हो सकते हैं। आइए इसे थोड़ा विस्तार से समझते हैं:
🔹 कान में दर्द के मुख्य कारण:
- संक्रमण (Infection)
- मध्य कान का संक्रमण (Otitis Media): यह बच्चों में आम होता है, और जुकाम के बाद हो सकता है।
- बाहरी कान का संक्रमण (Otitis Externa / Swimmer’s Ear): तैराकी या गंदे पानी के संपर्क से होता है।
- कान की सफाई में चोट
- तीली या पिन से कान साफ करते समय अंदरूनी त्वचा या परदा (eardrum) को नुकसान हो सकता है।
- कान में मैल जमा होना (Earwax Blockage)
- ज़्यादा मैल जमा हो जाने पर दबाव बन सकता है, जिससे दर्द होता है।
- नाक और गले की समस्या
- कभी-कभी गले या टॉन्सिल की सूजन भी कान में दर्द पैदा कर सकती है (referred pain)।
- हवाई यात्रा या ऊँचाई पर दबाव बदलाव (Barotrauma)
- प्लेन में उड़ान के दौरान कान में दबाव महसूस होता है, जिससे दर्द हो सकता है।
🔹 लक्षण (Symptoms):
- तीखा या लगातार दर्द
- कान में भारीपन या दबाव
- बुखार (अगर संक्रमण हो)
- सुनाई देने में कमी
- कान से रिसाव (पस या पानी जैसा)
🔹 घरेलू उपाय (Home Remedies):
- गुनगुने तेल की 1-2 बूँद (डॉक्टर से पूछकर)
- गर्म पानी की बोतल से सिकाई
- भाप लेना (नाक-कान से संबंधित दबाव को कम करने के लिए)
🔹 डॉक्टर से कब मिलें:
- दर्द 2-3 दिन से ज्यादा रहे
- तेज बुखार के साथ हो
- कान से पस या खून निकले
- सुनाई देना बंद हो जाए
कान बहना (Ear Discharge / Otorrhea) एक ऐसी स्थिति है जिसमें कान से किसी तरह का तरल पदार्थ (fluid) निकलता है। यह एक संकेत हो सकता है कि कान के अंदर कुछ गड़बड़ है।
🔹 कान बहने के कारण:
- संक्रमण (Infection)
- Otitis Media (मध्य कान का संक्रमण): इसमें परदा फट सकता है और पस बह सकती है।
- Otitis Externa (बाहरी कान का संक्रमण): इसे “Swimmer’s Ear” भी कहते हैं। इसमें कान की बाहरी त्वचा में सूजन और पस बन सकती है।
- कान में फोड़ा या पिंपल (Boil or Abscess)
- यह बाहरी कान में होता है और इसके फूटने से मवाद (pus) निकल सकता है।
- कान का परदा फटना (Eardrum Rupture)
- कान में जोर से चोट लगने, तेज़ आवाज़ या संक्रमण के कारण परदा फट सकता है, जिससे बहाव होता है।
- चोट या ऑपरेशन के बाद
- कभी-कभी सर्जरी या कान में किसी बाहरी वस्तु से चोट लगने पर भी तरल पदार्थ निकल सकता है।
- Foreign Body (विदेशी वस्तु का फँसना)
- बच्चों में अक्सर छोटे खिलौने या बीज वगैरह कान में डाल देने से संक्रमण और बहाव हो सकता है।
🔹 कान से निकलने वाला द्रव कैसा होता है?
प्रकार | संभव कारण |
---|---|
पानी जैसा साफ तरल | मामूली संक्रमण या एलर्जी |
पस/पीला या हरा तरल | बैक्टीरियल संक्रमण |
खून मिला हुआ तरल | चोट या परदा फटना |
दुर्गंध वाला गाढ़ा मवाद | गंभीर संक्रमण |
🔹 क्या करें (Treatment & Care):
✅ डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें, खासकर अगर:
- तरल बदबूदार या रंगीन हो
- बहाव के साथ दर्द या बुखार हो
- सुनाई देना कम हो रहा हो
- बार-बार कान बहता हो
✅ कान को साफ और सूखा रखें
- कोई भी दवा या तेल बिना डॉक्टर की सलाह के न डालें
- नहाते वक्त कान में पानी न जाए
✅ दवाएं (सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर):
- Antibiotic drops या oral antibiotics
- दर्द निवारक (जैसे Paracetamol)
अगर आप चाहें तो लक्षणों के आधार पर मैं संभावित कारण और उपाय भी बता सकता हूँ।
आप बताएँ – कितने समय से बहाव हो रहा है, दर्द है या नहीं, और क्या बुखार या सुनाई देने में कमी भी है?
सुनाई न देना (Hearing Loss / बहरापन) एक आम लेकिन गंभीर समस्या है, जो धीरे-धीरे या अचानक हो सकती है। इसके कई कारण हो सकते हैं – कुछ अस्थायी और कुछ स्थायी।
🔹 सुनाई न देने के मुख्य कारण:
- कान में मैल जमा होना (Earwax Blockage)
- जब मैल ज़्यादा जम जाता है तो यह ध्वनि को कान के परदे तक पहुँचने से रोकता है।
- उम्र बढ़ना (Age-related hearing loss / Presbycusis)
- यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, अक्सर 60 की उम्र के बाद धीरे-धीरे सुनने की क्षमता कम होने लगती है।
- तेज़ आवाज़ (Noise-induced hearing loss)
- मशीनों, हेडफोन, या तेज़ संगीत के लंबे समय तक संपर्क से कान के अंदर की संवेदनशील कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।
- संक्रमण (Infections)
- कान के संक्रमण से सुनने में बाधा आ सकती है, खासकर अगर परदा फट जाए या अंदर मवाद भर जाए।
- कान का परदा फटना (Eardrum rupture)
- इसके कारण भी अचानक सुनने की शक्ति घट सकती है।
- हड्डी या नस से जुड़ी समस्याएं (Sensorineural causes)
- यह कान की नसों या अंदरूनी हिस्से में क्षति के कारण होता है। यह अधिकतर स्थायी होता है।
🔹 सुनाई न देने के लक्षण:
- लोगों की आवाज़ धीमी या अस्पष्ट लगना
- टीवी या मोबाइल की आवाज़ ज़्यादा करना
- बार-बार “क्या कहा?” पूछना
- एक या दोनों कानों में आवाज़ ना आना
- घंटी बजना (Tinnitus) या कान में गूंज
🔹 उपचार और सुझाव:
✅ यदि कारण अस्थायी हो (जैसे मैल, संक्रमण) तो इलाज संभव है:
- कान की सफाई (डॉक्टर से)
- Antibiotics या Ear drops संक्रमण के लिए
- Steam therapy जुकाम से जुड़े मामलों में
✅ यदि कारण स्थायी हो (जैसे नसों की क्षति):
- हियरिंग एड (Hearing aids)
- Cochlear Implant (गंभीर मामलों में)
- स्पीच थेरेपी और श्रवण अभ्यास
🔸 सावधानियाँ:
- तेज़ आवाज़ से बचें (हेडफोन कम आवाज़ में इस्तेमाल करें)
- कान में कुछ भी खुद डालने से बचें
- संक्रमण या जुकाम को नज़रअंदाज़ न करें
- समय-समय पर ईएनटी (ENT) डॉक्टर से जांच कराएँ
कान में घंटी बजना (Tinnitus / टिनिटस) एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को अपने कान या सिर के अंदर लगातार आवाज़ें सुनाई देती हैं – जैसे:
- घंटी बजना 🔔
- सीटी सी आवाज़
- भनभनाहट
- गूंज
- हवा चलने जैसी आवाज़
ध्यान देने वाली बात ये है कि ये आवाज़ें बाहर से नहीं आ रहीं होतीं — ये केवल व्यक्ति को ही सुनाई देती हैं।
🔹 Tinnitus के मुख्य कारण:
- तेज़ आवाज़ के संपर्क में आना (Loud noise exposure)
- तेज़ म्यूज़िक, मशीनरी, हेडफोन आदि से कान की नसों को नुकसान हो सकता है।
- उम्र बढ़ना (Age-related hearing loss)
- उम्र के साथ सुनने की क्षमता कम होने लगती है, और टिनिटस हो सकता है।
- कान में मैल जमा होना (Earwax blockage)
- मैल की परत ध्वनि मार्ग को अवरुद्ध कर सकती है।
- कान की नसों को नुकसान (Sensorineural damage)
- अंदरूनी कान की नसों को चोट या संक्रमण से नुकसान हो सकता है।
- दवाओं का साइड इफेक्ट (Ototoxic medications)
- कुछ दवाएं (जैसे Aspirin, कुछ एंटीबायोटिक्स, chemotherapy drugs) टिनिटस पैदा कर सकती हैं।
- तनाव और चिंता (Stress & Anxiety)
- मानसिक तनाव भी टिनिटस को ट्रिगर कर सकता है या बढ़ा सकता है।
- Blood pressure या सिर में रक्त प्रवाह संबंधी समस्या
- कभी-कभी ब्लड फ्लो से जुड़ी समस्याओं के कारण भी आवाज़ें आती हैं (Pulsatile Tinnitus)।
🔹 Tinnitus के प्रकार:
प्रकार | विशेषता |
---|---|
Subjective Tinnitus | सिर्फ रोगी को ही सुनाई देता है (सबसे आम) |
Objective Tinnitus | डॉक्टर भी विशेष उपकरण से सुन सकता है (बहुत दुर्लभ) |
Pulsatile Tinnitus | दिल की धड़कन के साथ आवाज़ सुनाई देना |
🔹 उपचार (Treatment):
✅ मूल कारण का इलाज
- अगर संक्रमण, मैल या ब्लड प्रेशर कारण है तो उसे ठीक करना जरूरी है।
✅ Tinnitus retraining therapy (TRT)
- मरीज को ब्रेन ट्रेनिंग दी जाती है ताकि दिमाग उस आवाज़ को नजरअंदाज करना सीख सके।
✅ साउंड थेरेपी / White noise
- सफेद शोर या सॉफ्ट म्यूजिक से टिनिटस की आवाज़ कम महसूस होती है।
✅ Relaxation techniques
- योग, ध्यान, तनाव कम करने से राहत मिल सकती है।
✅ Hearing aids (अगर सुनने में भी कमी है)
- इससे टिनिटस की आवाज़ कम लगती है।
🔹 क्या करें / क्या न करें:
✔ करें:
- कैफीन और एल्कोहल कम करें
- तनाव कम करने की कोशिश करें
- पर्याप्त नींद लें
- डॉक्टर से नियमित जांच कराएं
❌ न करें:
- तेज़ आवाज़ों के संपर्क में न आएं
- कान में कुछ डालने की कोशिश न करें
- Tinnitus को अनदेखा न करें, खासकर अगर अचानक शुरू हुआ हो
कान का बंद हो जाना (Blocked Ear / कान में बंदपन महसूस होना) एक आम समस्या है और अक्सर यह अस्थायी होती है। इसमें ऐसा लगता है जैसे कान में कुछ अटका हुआ हो या आवाज़ें हल्की सुनाई दे रही हों – जैसे पानी के अंदर हों।
🔹 कान बंद होने के सामान्य कारण:
- सर्दी-जुकाम या एलर्जी
- जुकाम या नाक बंद होने पर Eustachian Tube (जो कान और गले को जोड़ती है) ब्लॉक हो जाती है, जिससे कान बंद महसूस होता है।
- कान में मैल जमा होना (Earwax build-up)
- ज़्यादा मैल जमा हो जाए तो यह ध्वनि मार्ग को बंद कर देता है।
- हवाई यात्रा या ऊँचाई में बदलाव (Barotrauma)
- प्लेन उड़ान भरते समय या पहाड़ों पर जाने पर दबाव में बदलाव से कान बंद हो सकता है।
- पानी का फँस जाना (Water trapped in ear)
- नहाने या तैराकी के बाद कान में पानी रह जाए तो बंदपन महसूस होता है।
- कान में संक्रमण (Ear Infection)
- संक्रमण की वजह से सूजन और मवाद बनने से कान बंद हो सकता है।
- Eustachian Tube Dysfunction
- जब यह ट्यूब ढंग से खुलती-बंद नहीं होती तो कान में प्रेशर बना रहता है।
🔹 लक्षण (Symptoms):
- कान में दबाव या भारीपन
- आवाज़ें मंद या गूंजती हुई लगना
- सुनने में परेशानी
- कभी-कभी चक्कर या असंतुलन
- कभी हल्का दर्द
🔹 घरेलू उपचार (Home Remedies):
✅ Valsalva Maneuver:
नाक को बंद करके मुँह बंद रखें और धीरे से साँस बाहर फूंकें (जैसे सीटी बजानी हो) – इससे Eustachian Tube खुल सकती है।
✅ भाप लें (Steam Inhalation):
सर्दी-जुकाम के कारण ब्लॉकेज हो तो भाप लेने से नाक और कान का दबाव कम हो सकता है।
✅ गर्म सिकाई:
गरम पानी की बोतल या तौलिये से कान के आस-पास हल्की सिकाई करें।
✅ कूदने या उछलने से पानी निकल सकता है अगर पानी फंसा हो।
🔹 क्या करें / क्या न करें:
✔ करें:
- नाक और गले का इलाज करें अगर सर्दी हो
- कान साफ करवाने के लिए ENT डॉक्टर से मिलें
- हवाई यात्रा के समय च्युइंग गम चबाएँ या निगलते रहें
❌ न करें:
- तीली या पिन से कान कुरेदने की कोशिश न करें
- जोर से फूंकने से बचें – परदा फट सकता है
- खुद से दवा या ड्रॉप न डालें जब तक कारण स्पष्ट न हो
🔸 डॉक्टर से कब मिलें:
- अगर 2–3 दिन में राहत न मिले
- तेज़ दर्द, बहाव या सुनाई देने में कमी हो
- बार-बार कान बंद होता हो