अखिलेश यादव का संक्षिप्त परिचय:
- पूरा नाम: अखिलेश यादव
- जन्म: 1 जुलाई 1973, सैफई, इटावा, उत्तर प्रदेश
- पिता: मुलायम सिंह यादव (समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री)
- शिक्षा: मैसूर यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग में डिग्री, सिडनी यूनिवर्सिटी (ऑस्ट्रेलिया) से उच्च शिक्षा
- राजनीतिक दल: समाजवादी पार्टी (सपा)
- मुख्य पद:
- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री (2012-2017)
- समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष
- आजमगढ़ और कन्नौज से लोकसभा सांसद रह चुके हैं
राजनीतिक सफर:
अखिलेश यादव ने 2000 में कन्नौज लोकसभा सीट से राजनीति में प्रवेश किया। 2012 में, 38 साल की उम्र में वे उत्तर प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने। उनके शासनकाल में मेट्रो प्रोजेक्ट, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और लैपटॉप वितरण जैसी योजनाएँ प्रमुख रहीं। 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा, जिसके बाद वे मुख्य विपक्षी नेता के रूप में सक्रिय हैं।
वर्तमान स्थिति:
अखिलेश यादव 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में करहल सीट से विधायक चुने गए, लेकिन बाद में लोकसभा सांसद के रूप में वापस लौटे। वे 2024 के लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी के नेतृत्व कर रहे हैं
अखिलेश यादव 2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वे उत्तर प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने, जब उन्होंने 15 मार्च 2012 को 38 वर्ष की उम्र में पदभार संभाला। उनके कार्यकाल के दौरान कई प्रमुख योजनाएँ और विकास कार्य किए गए, जिनमें प्रमुख हैं:
मुख्य उपलब्धियाँ (2012-2017):
- आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे – यह हाई-स्पीड एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश को बेहतर सड़क संपर्क देने की एक बड़ी परियोजना थी।
- लखनऊ मेट्रो परियोजना – अखिलेश यादव के शासनकाल में लखनऊ मेट्रो की नींव रखी गई और इसका पहला चरण शुरू हुआ।
- लैपटॉप वितरण योजना – सरकारी स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों को मुफ्त लैपटॉप दिए गए, जिससे डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा मिला।
- समाजवादी पेंशन योजना – गरीब और जरूरतमंद परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए यह योजना शुरू की गई।
- 108 और 102 एम्बुलेंस सेवा – मुफ्त चिकित्सा सहायता के लिए राज्य में व्यापक एम्बुलेंस सेवा शुरू की गई।
- किसानों के लिए योजनाएँ – सिंचाई योजनाओं में सुधार और किसानों को सब्सिडी देकर उन्हें मदद दी गई।
- पुलिस सुधार और महिला सुरक्षा – ‘1090 वीमेन पावर लाइन’ जैसी पहल शुरू की गई ताकि महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा सके।
2017 चुनाव और मुख्यमंत्री पद से विदाई:
2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को भारतीय जनता पार्टी (BJP) से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
अखिलेश यादव तब से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में सक्रिय राजनीति में हैं और उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक मजबूत विपक्षी नेता बने हुए हैं
अखिलेश यादव: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष
अखिलेश यादव 2017 से समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वे इस पद पर 1 जनवरी 2017 को चुने गए, जब सपा में पारिवारिक विवाद के कारण उनके पिता और पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव को अध्यक्ष पद से हटाया गया था।
राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का सफर:
- 2016-2017 पारिवारिक विवाद:
- 2016 के अंत में समाजवादी पार्टी के भीतर अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच मतभेद बढ़ गए।
- मुलायम सिंह यादव चाहते थे कि पार्टी परंपरागत ढंग से चलाई जाए, लेकिन अखिलेश यादव ने विकास और युवाओं को प्राथमिकता देने की वकालत की।
- 1 जनवरी 2017 को सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश यादव को पार्टी का नया अध्यक्ष चुना गया।
- 2017 विधानसभा चुनाव:
- अखिलेश यादव ने 2017 में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा, लेकिन सपा को हार का सामना करना पड़ा।
- चुनाव हारने के बावजूद वे पार्टी के मजबूत नेता बने रहे और संगठन को आगे बढ़ाने में लगे रहे।
- 2019 लोकसभा चुनाव:
- 2019 में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन किया, लेकिन यह चुनावी गठबंधन ज्यादा सफल नहीं रहा।
- चुनाव के बाद बसपा ने सपा से अलग राह चुन ली।
- 2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव:
- अखिलेश यादव ने ‘नई सपा’ के नारे के साथ चुनाव लड़ा और कई छोटे दलों के साथ गठबंधन किया।
- समाजवादी पार्टी को 111 सीटें मिलीं, जिससे वह मजबूत विपक्ष बना।
- हालांकि, वे योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी को सत्ता से नहीं हटा सके।
- 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियाँ:
- अखिलेश यादव 2024 के चुनाव में समाजवादी पार्टी को मजबूत करने में लगे हैं।
- वे ‘इंडिया’ (I.N.D.I.A) गठबंधन का हिस्सा हैं और बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने में भूमिका निभा रहे हैं।
अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी:
1. युवाओं और किसानों पर ध्यान: बेरोजगारी, महंगाई, और किसान कल्याण के मुद्दों को उठाना।
2.समाजवादी विचारधारा को मजबूत करना: सामाजिक न्याय, आरक्षण और गरीबों की भलाई पर जोर।
3.टेक्नोलॉजी और विकास: डिजिटल इंडिया और इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर नई रणनीतियाँ बनाना।
अखिलेश यादव अब भी उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा चेहरा हैं और 2024 के चुनावों में उनकी भूमिका अहम मानी जा रही है
अखिलेश यादव: आजमगढ़ और कन्नौज से लोकसभा सांसद
अखिलेश यादव ने अपने राजनीतिक करियर में कन्नौज और आजमगढ़ लोकसभा सीटों से सांसद के रूप में कार्य किया है।
कन्नौज लोकसभा सीट (2000-2012)
- पहली बार सांसद: अखिलेश यादव ने 2000 में कन्नौज लोकसभा सीट से उपचुनाव जीता और पहली बार सांसद बने।
- तीन बार सांसद: वे 2000, 2004 और 2009 में कन्नौज से लगातार लोकसभा चुनाव जीते।
- 2012 में इस्तीफा: जब वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने (2012), तब उन्होंने कन्नौज सीट से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उनकी पत्नी डिंपल यादव ने 2012 के उपचुनाव में जीत हासिल की और सांसद बनीं।
आजमगढ़ लोकसभा सीट (2019-2022)
- 2019 लोकसभा चुनाव: अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ सीट से चुनाव लड़ा और 2,59,874 वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल की।
- आजमगढ़ क्यों चुना? समाजवादी पार्टी ने 2019 में पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए आजमगढ़ से अखिलेश यादव को उतारा।
- 2022 में इस्तीफा: जब वे करहल विधानसभा सीट से विधायक चुने गए, तब उन्होंने आजमगढ़ सीट से इस्तीफा दे दिया और पूरी तरह यूपी की राजनीति पर ध्यान देने लगे।
🔹 2024 लोकसभा चुनाव और आगे की रणनीति
- 2024 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव फिर से संसद में वापसी कर सकते हैं।
- वे “इंडिया” गठबंधन के तहत बीजेपी के खिलाफ चुनावी रणनीति बना रहे हैं और सपा को मजबूत करने में जुटे हैं।